"खेलत फाग दुहूँ तिय कौ -बिहारी लाल" के अवतरणों में अंतर
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− | खेलत फाग दुहूँ तिय कौ मन राखिबै कौ कियौ दाँव | + | खेलत फाग दुहूँ तिय कौ, |
− | प्यार जनाय घरैंनु सौं लै, भरि मूँठि गुलाल दुहूँ दृग | + | मन राखिबै कौ कियौ दाँव नवीनौ॥ |
− | लोचन मीडै उतै उत बेसु, इतै मैं मनोरथ पूरन | + | |
− | नागर नैंक नवोढ़ त्रिया, उर लाय चटाक दै चूँबन | + | प्यार जनाय घरैंनु सौं लै, |
+ | भरि मूँठि गुलाल दुहूँ दृग दीनौ॥ | ||
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+ | लोचन मीडै उतै उत बेसु, | ||
+ | इतै मैं मनोरथ पूरन कीनौ॥ | ||
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+ | नागर नैंक नवोढ़ त्रिया, | ||
+ | उर लाय चटाक दै चूँबन लीनौ॥ | ||
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07:29, 8 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
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खेलत फाग दुहूँ तिय कौ, |
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