"जाके लिए घर आई घिघाय -बिहारी लाल" के अवतरणों में अंतर
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− | जाके लिए घर आई घिघाय, करी मनुहारि उती तुम | + | जाके लिए घर आई घिघाय, करी मनुहारि उती तुम गाढ़ी। |
− | आजु लखैं उहिं जात उतै, न रही सुरत्यौ उर यौं रति | + | आजु लखैं उहिं जात उतै, न रही सुरत्यौ उर यौं रति बाढ़ी॥ |
− | ता छिन तैं तिहिं भाँति अजौं, न हलै न चलै बिधि की लसी | + | ता छिन तैं तिहिं भाँति अजौं, न हलै न चलै बिधि की लसी काढ़ी। |
− | वाहि गँवा छिनु वाही गली तिनु, वैसैहीं चाह (बै) वैसेही | + | वाहि गँवा छिनु वाही गली तिनु, वैसैहीं चाह (बै) वैसेही ठाढ़ी॥ |
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13:51, 25 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
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जाके लिए घर आई घिघाय, करी मनुहारि उती तुम गाढ़ी। |
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