"मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं -रसखान" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{पुनरीक्षण}}
 
 
{| style="background:transparent; float:right"
 
{| style="background:transparent; float:right"
 
|-
 
|-
पंक्ति 11: पंक्ति 10:
 
|मृत्यु=प्रामाणिक तथ्य अनुपलब्ध
 
|मृत्यु=प्रामाणिक तथ्य अनुपलब्ध
 
|मृत्यु स्थान=
 
|मृत्यु स्थान=
|मुख्य रचनाएँ=  
+
|मुख्य रचनाएँ= 'सुजान रसखान' और 'प्रेमवाटिका'
 
|यू-ट्यूब लिंक=
 
|यू-ट्यूब लिंक=
 
|शीर्षक 1=
 
|शीर्षक 1=
पंक्ति 33: पंक्ति 32:
 
<poem>
 
<poem>
 
मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं, गुंज की माल गरे पहिरौंगी।
 
मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं, गुंज की माल गरे पहिरौंगी।
 
 
ओढ़ि पितम्बर लै लकुटी, बन गोधन ग्वारन संग फिरौंगी।।
 
ओढ़ि पितम्बर लै लकुटी, बन गोधन ग्वारन संग फिरौंगी।।
  
 
भावतो मोहि मेरो रसखान, सो तेरे कहे सब स्वाँग भरौंगी।
 
भावतो मोहि मेरो रसखान, सो तेरे कहे सब स्वाँग भरौंगी।
 
 
या मुरली मुरलीधर की, अधरान धरी अधरा न धरौंगी।।  
 
या मुरली मुरलीधर की, अधरान धरी अधरा न धरौंगी।।  
 
</poem>
 
</poem>
पंक्ति 49: पंक्ति 46:
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{भारत के कवि}}
 
{{भारत के कवि}}
[[Category:पद]][[Category:पद्य साहित्य]] [[Category:भक्ति काल]][[Category:साहित्य कोश]][[Category:भक्तिकालीन साहित्य]] [[Category:काव्य कोश]]
+
[[Category:पद]][[Category:पद्य साहित्य]] [[Category:भक्ति काल]][[Category:साहित्य कोश]][[Category:भक्तिकालीन साहित्य]] [[Category:काव्य कोश]][[Category:रसखान]]
 
|}
 
|}
 
__NOTOC__
 
__NOTOC__
 
__NOEDITSECTION__
 
__NOEDITSECTION__
 
__INDEX__
 
__INDEX__

09:55, 14 दिसम्बर 2013 का अवतरण

मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं -रसखान
रसखान की समाधि, महावन, मथुरा
कवि रसखान
जन्म सन् 1533 से 1558 बीच (लगभग)
जन्म स्थान पिहानी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु प्रामाणिक तथ्य अनुपलब्ध
मुख्य रचनाएँ 'सुजान रसखान' और 'प्रेमवाटिका'
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रसखान की रचनाएँ

मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं, गुंज की माल गरे पहिरौंगी।
ओढ़ि पितम्बर लै लकुटी, बन गोधन ग्वारन संग फिरौंगी।।

भावतो मोहि मेरो रसखान, सो तेरे कहे सब स्वाँग भरौंगी।
या मुरली मुरलीधर की, अधरान धरी अधरा न धरौंगी।।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख