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बहुत जनम बिछुरे थे माधउ, इहु जनमु तुम्हरे लेखे।
 
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कहि रविदास अस लगि जीवउ। चिर भइओ दरसनु देखे।।२।।
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कहि रविदास अस लगि जीवउ। चिर भइओ दरसनु देखे।।2।।
 
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हउ बलि बलि जाउ रमईया कारने -रैदास
रैदास
कवि रैदास
जन्म 1398 ई. (लगभग)
जन्म स्थान काशी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1518 ई.
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रैदास की रचनाएँ

हउ बलि बलि जाउ रमईया कारने।
कारन कवन अबोल।। टेक।।
हम सरि दीनु दइआलु न तुमसरि। अब पतीआरु किआ कीजै।
बचनी तोर मोर मनु मानैं। जन कउ पूरनु दीजै।।1।।
बहुत जनम बिछुरे थे माधउ, इहु जनमु तुम्हरे लेखे।
कहि रविदास अस लगि जीवउ। चिर भइओ दरसनु देखे।।2।।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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