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बचनी तोर मोर मनु मानैं। जन कउ पूरनु दीजै।।1।। | बचनी तोर मोर मनु मानैं। जन कउ पूरनु दीजै।।1।। | ||
बहुत जनम बिछुरे थे माधउ, इहु जनमु तुम्हरे लेखे। | बहुत जनम बिछुरे थे माधउ, इहु जनमु तुम्हरे लेखे। | ||
− | कहि रविदास अस लगि जीवउ। चिर भइओ दरसनु | + | कहि रविदास अस लगि जीवउ। चिर भइओ दरसनु देखे।।2।। |
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10:03, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
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हउ बलि बलि जाउ रमईया कारने। |