"प्रीति करि काहु सुख न लह्यो -सूरदास" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो (Text replacement - " दुख " to " दु:ख ")
 
पंक्ति 37: पंक्ति 37:
 
सारँग प्रीति करी जो नाद सों, सन्मुख बान सह्यो॥
 
सारँग प्रीति करी जो नाद सों, सन्मुख बान सह्यो॥
 
हम जो प्रीति करि माधव सों, चलत न कछु कह्यो।
 
हम जो प्रीति करि माधव सों, चलत न कछु कह्यो।
'सूरदास' प्रभु बिनु दुख दूनो, नैननि नीर बह्यो॥  
+
'सूरदास' प्रभु बिनु दु:ख दूनो, नैननि नीर बह्यो॥  
 
</poem>
 
</poem>
 
{{Poemclose}}
 
{{Poemclose}}

14:05, 2 जून 2017 के समय का अवतरण

Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
प्रीति करि काहु सुख न लह्यो -सूरदास
सूरदास
कवि महाकवि सूरदास
जन्म संवत 1535 वि.(सन 1478 ई.)
जन्म स्थान रुनकता
मृत्यु 1583 ई.
मृत्यु स्थान पारसौली
मुख्य रचनाएँ सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य-लहरी, नल-दमयन्ती, ब्याहलो
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सूरदास की रचनाएँ

प्रीति करि काहु सुख न लह्यो।
प्रीति पतंग करी दीपक सों, आपै प्रान दह्यो॥
अलिसुत प्रीति करी जलसुत सों, संपति हाथ गह्यो।
सारँग प्रीति करी जो नाद सों, सन्मुख बान सह्यो॥
हम जो प्रीति करि माधव सों, चलत न कछु कह्यो।
'सूरदास' प्रभु बिनु दु:ख दूनो, नैननि नीर बह्यो॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख