"प्रीति करि काहु सुख न लह्यो -सूरदास" के अवतरणों में अंतर
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सारँग प्रीति करी जो नाद सों, सन्मुख बान सह्यो॥ | सारँग प्रीति करी जो नाद सों, सन्मुख बान सह्यो॥ | ||
हम जो प्रीति करि माधव सों, चलत न कछु कह्यो। | हम जो प्रीति करि माधव सों, चलत न कछु कह्यो। | ||
− | 'सूरदास' प्रभु बिनु | + | 'सूरदास' प्रभु बिनु दु:ख दूनो, नैननि नीर बह्यो॥ |
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14:05, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
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प्रीति करि काहु सुख न लह्यो। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |