"मुझे पुकारती हुई पुकार -गजानन माधव मुक्तिबोध" के अवतरणों में अंतर
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प्रबुद्ध ज्वाल में हताश हो। | प्रबुद्ध ज्वाल में हताश हो। | ||
विशाल भव्य वक्ष से | विशाल भव्य वक्ष से | ||
− | बही अनंत स्नेह की | + | बही अनंत स्नेह की महान् कृतिमयी व्यथा |
− | बही अशांत प्राण से | + | बही अशांत प्राण से महान् मानवी कथा। |
किसी उजाड़ प्रांत के | किसी उजाड़ प्रांत के | ||
विशाल रिक्त-गर्भ गुंबजों-घिरे | विशाल रिक्त-गर्भ गुंबजों-घिरे |
11:09, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
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मुझे पुकारती हुई पुकार खो गई कहीं... |
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