"संकोच-भार को सह न सका -भगवतीचरण वर्मा" के अवतरणों में अंतर
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हो बाँध रही प्यासा जीवन । | हो बाँध रही प्यासा जीवन । | ||
− | तुम | + | तुम करुणा की जयमाल बनो, |
मैं बनूँ विजय का आलिंगन | मैं बनूँ विजय का आलिंगन | ||
हम मदमातों की दुनिया में, | हम मदमातों की दुनिया में, |
13:39, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
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संकोच-भार को सह न सका |
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