"कीजै प्रभु अपने बिरद की लाज -सूरदास" के अवतरणों में अंतर
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दई न जाति खेवट<ref>नाव खेने वाला।</ref> उतराई,<ref>पार उतारने की मज़दूरी।</ref> चाहत चढ्यौ जहाज॥ | दई न जाति खेवट<ref>नाव खेने वाला।</ref> उतराई,<ref>पार उतारने की मज़दूरी।</ref> चाहत चढ्यौ जहाज॥ | ||
लीजै पार उतारि सूर कौं महाराज ब्रजराज। | लीजै पार उतारि सूर कौं महाराज ब्रजराज। | ||
− | नई<ref>कोई नई बात।</ref> न करन कहत, प्रभु तुम हौ सदा | + | नई<ref>कोई नई बात।</ref> न करन कहत, प्रभु तुम हौ सदा ग़रीब निवाज॥ |
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09:17, 12 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
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कीजै प्रभु अपने बिरद[1] की लाज। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |