हरि हरि हरि हरि हरि हरि हरे -रैदास

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:11, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण (Text replace - "३" to "3")
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
हरि हरि हरि हरि हरि हरि हरे -रैदास
रैदास
कवि रैदास
जन्म 1398 ई. (लगभग)
जन्म स्थान काशी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1518 ई.
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रैदास की रचनाएँ

हरि हरि हरि हरि हरि हरि हरे।
हरि सिमरत जन गए निसतरि तरे।। टेक।।
हरि के नाम कबीर उजागर। जनम जनम के काटे कागर।।1।।
निमत नामदेउ दूधु पीआइया। तउ जग जनम संकट नहीं आइआ।।2।।
जनम रविदास राम रंगि राता। इउ गुर परसादि नरक नहीं जाता।।3।।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख