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*अमिय चक्रवर्ती, [[रबीन्द्रनाथ टैगोर]] के बाद के काल के सबसे महान साहित्यिक आलोचकों में से एक थे, जो एक [[कवि]] के रूप में भी प्रसिद्ध थे।
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*हज़ारीबाग के सेंट कोलंबस कॉलेज से स्नातक करने के बाद अमिय चक्रवर्ती [[1921]] में 'विश्व-भारती' में शामिल हुए। पहले एक छात्र के रूप में और फिर एक शिक्षक के रूप में।
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09:56, 21 अप्रैल 2024 के समय का अवतरण

अमिय चक्रवर्ती (अंग्रेज़ी: Amiya Chandra Chakravarty, जन्म- 10 अप्रॅल, 1901; मृत्यु- 12 जून, 1986) बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार थे। इनके द्वारा रचित एक कविता संग्रह 'घरे फेरार दिन' के लिये उन्हें सन 1963 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अमिय चक्रवर्ती को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिये भारत सरकार द्वारा सन 1970 में 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया था।

  • अमिय चक्रवर्ती, रबीन्द्रनाथ टैगोर के बाद के काल के सबसे महान साहित्यिक आलोचकों में से एक थे, जो एक कवि के रूप में भी प्रसिद्ध थे।
  • हज़ारीबाग के सेंट कोलंबस कॉलेज से स्नातक करने के बाद अमिय चक्रवर्ती 1921 में 'विश्व-भारती' में शामिल हुए। पहले एक छात्र के रूप में और फिर एक शिक्षक के रूप में।
  • वह सन 1924 से 1933 तक रवीन्द्रनाथ के साहित्यिक सचिव थे। इस अवधि के दौरान वह कवि के करीबी सहयोगी थे और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक घटनाओं के बारे में अपने विचारों और भावनाओं को साझा करते थे।
  • साल 1930 में यूरोप और अमेरिका और 1932 में ईरान और इराक की यात्रा के दौरान वह रवीन्द्रनाथ के यात्रा साथी थे।
  • अमिय चक्रवर्ती को 1937 में डी.फिल की उपाधि से सम्मानित किया गया था। 1937 से 1940 के दौरान वह ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में सीनियर रिसर्च फेलो थे।
  • उन्होंने कविता और गद्य दोनों लिखा।
  • उन्हें उनकी पुस्तक 'चलो जय' के लिए 'यूनेस्को पुरस्कार' और 'घरे फेर दिन' के लिए 'साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • भारत सरकार से अमिय चक्रवर्ती को 'पद्म भूषण' (1970) भी मिला।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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संबंधित लेख

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