"अर्जुन की प्रतिज्ञा -मैथिलीशरण गुप्त" के अवतरणों में अंतर
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युग-नेत्र उनके जो अभी थे पूर्ण जल की धार-से, | युग-नेत्र उनके जो अभी थे पूर्ण जल की धार-से, | ||
अब रोष के मारे हुए, वे दहकते अंगार-से । | अब रोष के मारे हुए, वे दहकते अंगार-से । | ||
− | निश्चय अरुणिमा-मित्त अनल की जल उठी वह ज्वाल | + | निश्चय अरुणिमा-मित्त अनल की जल उठी वह ज्वाल सी, |
तब तो दृगों का जल गया शोकाश्रु जल तत्काल ही। | तब तो दृगों का जल गया शोकाश्रु जल तत्काल ही। | ||
15:12, 23 सितम्बर 2011 का अवतरण
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उस काल मारे क्रोध के तन काँपने उसका लगा, |
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