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*'कवीन्द्र कल्पलता' में 150 [[छंद|छंदों]] से युक्त [[दारा शिकोह]] व उसकी बेगम पर प्रशस्ति गीत हैं। | *'कवीन्द्र कल्पलता' में 150 [[छंद|छंदों]] से युक्त [[दारा शिकोह]] व उसकी बेगम पर प्रशस्ति गीत हैं। | ||
13:22, 21 मार्च 2015 के समय का अवतरण
कवीन्द्राचार्य सरस्वती काशी के उन प्रमुख रचनाकारों में से थे, जिनका रीतिकाल में किसी राज दरबार से कोई सम्बन्ध नहीं था। मुग़ल बादशाह शाहजहाँ इनके पाण्डित्य से बहुत प्रभावित था।[1]
- इनके द्वारा रचे ग्रंथों में प्रमुख हैं- 'कवीन्द्र कल्पद्रुम', 'पद चन्द्रिका', 'दशकुमार टीका', 'योगभाष्कर योग', 'शतपथ ब्राह्मण भाष्य' आदि।
- कवीन्द्राचार्य सरस्वती के 'कवीन्द्र कल्पलता', 'योग वशिष्ठ' और 'समरसार' हिन्दी ग्रंथ हैं।
- 'कवीन्द्र कल्पलता' में 150 छंदों से युक्त दारा शिकोह व उसकी बेगम पर प्रशस्ति गीत हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ काशी कथा, साहित्यकार (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 10 जनवरी, 2014।