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'''केशव प्रसाद मिश्र''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Keshav Prasad Mishra'', जन्म- [[1885]], [[काशी]], [[उत्तर प्रदेश]]; मृत्यु- [[21 मार्च]], [[1952]]) [[हिन्दी]] के प्रमुख साहित्यकारों में से एक थे। एक भाषण के दौरान '[[विनयपत्रिका]]' की अत्यधिक प्रशंसा करने के कारण [[भारत]] के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी [[पण्डित मदन मोहन मालवीय]] ने गद्गद होकर इन्हें सन [[1928]] ई. में '[[काशी हिन्दू विश्वविद्यालय]]' में अध्यापक नियुक्त किया था।<ref>{{cite web |url=http://www.kashikatha.com/%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B5/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0/ |title=काशी के साहित्यकार|accessmonthday= 11 जनवरी|accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=काशी कथा|language=हिन्दी}}</ref>
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==संक्षिप्त परिचय==
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*एक भाषण देते समय केशव प्रसाद मिश्र ने '[[विनयपत्रिका]]' की अत्यधिक प्रशंसा की, जिससे प्रसन्न होकर मालवीय जी ने इन्हें 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' में अध्यापक बना दिया।
 
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केशव प्रसाद मिश्र
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पूरा नाम केशव प्रसाद मिश्र
जन्म 1885
जन्म भूमि काशी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 21 मार्च, 1952
अभिभावक भगवती प्रसाद मिश्र (पिता)
कर्म भूमि भारत
मुख्य रचनाएँ 'हिन्दी वैधुत शब्दावली', 'हरिवंशगुण स्मृति', 'गद्य भारती', 'काव्यलोक', 'पदचि' आदि।
भाषा हिन्दी
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी कालिदास की अमृत कृति 'मेघदूत' के पद्यानुवाद की भूमिका में रस सिद्धान्त का विवेचन केशव प्रसाद मिश्र ने किया था।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

केशव प्रसाद मिश्र (अंग्रेज़ी: Keshav Prasad Mishra, जन्म- 1885, काशी, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 21 मार्च, 1952) हिन्दी के प्रमुख साहित्यकारों में से एक थे। एक भाषण के दौरान 'विनयपत्रिका' की अत्यधिक प्रशंसा करने के कारण भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी पण्डित मदन मोहन मालवीय ने गद्गद होकर इन्हें सन 1928 ई. में 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' में अध्यापक नियुक्त किया था।[1]

संक्षिप्त परिचय

  • सन 1885 में काशी (वर्तमान बनारस) के 'भदैनी' में केशव प्रसाद मिश्र का जन्म हुआ था।
  • इनके पिता का नाम भगवती प्रसाद मिश्र था। अपने सभी भाइयों में केशव प्रसाद मिश्र ज्येष्ठ थे।
  • एक भाषण देते समय केशव प्रसाद मिश्र ने 'विनयपत्रिका' की अत्यधिक प्रशंसा की, जिससे प्रसन्न होकर मालवीय जी ने इन्हें 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' में अध्यापक बना दिया।
  • केशव प्रसाद मिश्र 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' में सन 1941-1950 तक हिन्दी विभागाध्यक्ष के रूप में प्रतिष्ठित रहे।
  • कालिदास की अमृत कृति 'मेघदूत' के पद्यानुवाद की भूमिका में रस सिद्धान्त का विवेचन केशव प्रसाद मिश्र ने किया था।
  • 'गद्य भारती', 'काव्यलोक', 'पदचि' नामक आदि अनेक ग्रन्थों की भूमिका इन्होंने लिखी।
  • 'हिन्दी वैधुत शब्दावली' की रचना इन्होंने 1925 की।
  • 'सरस्वती' तथा 'इन्दु' पत्रिकाओं में बराबर इनके लेख छपते रहे।
  • 'हरिवंशगुण स्मृति' नामक काव्य की रचना भी केशव प्रसाद मिश्र ने की थी।
  • केशव प्रसाद मिश्र का निधन 21 मार्च, 1952 को हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. काशी के साहित्यकार (हिन्दी) काशी कथा। अभिगमन तिथि: 11 जनवरी, 2014।

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