एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "१"।

भ्रम-बिधोंसवा का अंग -कबीर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
स्नेहा (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:16, 5 सितम्बर 2011 का अवतरण ('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Kabirdas-2.jpg |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
भ्रम-बिधोंसवा का अंग -कबीर
संत कबीरदास
कवि कबीर
जन्म 1398 (लगभग)
जन्म स्थान लहरतारा ताल, काशी
मृत्यु 1518 (लगभग)
मृत्यु स्थान मगहर, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ साखी, सबद और रमैनी
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
कबीर की रचनाएँ

जेती देखौं आत्मा, तेता सालिगराम ।
साधू प्रतषि देव हैं, नहीं पाथर सूं काम ॥1॥

जप तप दीसैं थोथरा, तीरथ ब्रत बेसास ।
सूवै सैंबल सेविया, यौं जग चल्या निरास ॥2॥

तीरथ तो सब बेलड़ी, सब जग मेल्या छाइ ।
`कबीर' मूल निकंदिया, कौंण हलाहल खाइ ॥3॥

मन मथुरा दिल द्वारिका, काया कासी जाणि ।
दसवां द्वारा देहुरा, तामैं जोति पिछाणि ॥4॥

`कबीर' दुनिया देहुरै, सीस नवांवण जाइ ।
हिरदा भीतर हरि बसै, तू ताही सौं ल्यौ लाइ ॥5॥








संबंधित लेख