"शरभंग ऋषि" के अवतरणों में अंतर
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10:59, 21 मई 2012 के समय का अवतरण
रामायणनुसार एक ऋषि जो दक्षिण भारत में रहते थे। वनवास के समय श्रीराम दर्शनार्थ इनके आश्रम पर गये। यह समाचार पाकर इन्होंने इन्द्र के साथ ब्रह्मलोक न जाकर, राम दर्शन को ही उत्तम समझा और श्रीराम के सामने ही योगाग्नि से अपने शरीर को भस्म कर दिव्य धाम को गये थे।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ रामचरित-मानस, अरण्य कांड, सर्ग 6.4-8.2