एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"।

अति अनियारे मानौ सान दै सुधारे -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
फ़ौज़िया ख़ान (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:54, 2 मार्च 2012 का अवतरण ('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=rahimdas.jpg |च...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
अति अनियारे मानौ सान दै सुधारे -रहीम
रहीम
कवि रहीम
जन्म 17 दिसम्बर 1556 ई.
मृत्यु 1627 ई.
मुख्य रचनाएँ रहीम रत्नावली, रहीम विलास, रहिमन विनोद, रहीम 'कवितावली, रहिमन चंद्रिका, रहिमन शतक
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रहीम की रचनाएँ

अति अनियारे मानौ सान दै सुधारे,
महा विष के विषारे ये करत पर-घात हैं।
ऐसे अपराधी देख अगम अगाधी यहै,
साधना जो साधी हरि हिय में अन्हात हैं॥
बार बार बोरे याते लाल लाल डोरे भये,
तौहू तो ’रहीम’ थोरे बिधि न सकात हैं।
घाइक घनेरे दुखदाइक हैं मेरे नित,
नैन बान तेरे उर बेधि बेधि जात हैं॥

संबंधित लेख