एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "१"।

अवधूता युगन युगन हम योगी -कबीर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
कात्या सिंह (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:23, 14 दिसम्बर 2011 का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
अवधूता युगन युगन हम योगी -कबीर
संत कबीरदास
कवि कबीर
जन्म 1398 (लगभग)
जन्म स्थान लहरतारा ताल, काशी
मृत्यु 1518 (लगभग)
मृत्यु स्थान मगहर, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ साखी, सबद और रमैनी
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
कबीर की रचनाएँ

अवधूता युगन युगन हम योगी,
आवै ना जाय मिटै ना कबहूं, सबद अनाहत भोगी।

सभी ठौर जमात हमरी, सब ही ठौर पर मेला।
हम सब माय, सब है हम माय, हम है बहुरी अकेला।

हम ही सिद्ध समाधि हम ही, हम मौनी हम बोले।
रूप सरूप अरूप दिखा के, हम ही हम तो खेलें।

कहे कबीर जो सुनो भाई साधो, ना हीं न कोई इच्छा।
अपनी मढ़ी में आप मैं डोलूं, खेलूं सहज स्वइच्छा।








संबंधित लेख