यादवप्रकाश
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यादवप्रकाश रामानुज स्वामी के प्रारम्भिक दार्शनिक शिक्षा गुरु थे। इनका एक अन्य नाम 'गोविंद जिय' भी था। यादवप्रकाश का स्थिति काल ग्यारवीं शताब्दी था। ये कांची नगरी के रहने वाले थे।[1]
- यादवप्रकाश शंकर के 'अद्वैतमत' को मानने वाले थे और रामानुज 'विशिष्टाद्वैत मत' को। अत: गुरु शिष्य में अनेक बार विवाद हुआ करता था। अंत में रामानुज ने गुरु पर विजय प्राप्त की और उन्हें वैष्णव मतावलम्बी बना लिया।
- इनका लिखा हुआ 'वेदांतसूत्र' का 'यादवभाष्य' अब दुर्लभ है।
- श्रीवैष्णव सम्प्रदाय के सन्न्यासियों पर यादवप्रकाश का अन्य ग्रंथ ‘यतिधर्मसमुच्चय’ है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दू धर्मकोश |लेखक: डॉ. राजबली पाण्डेय |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 536 |