आवत है वन ते मनमोहन, गाइन संग लसै ब्रज-ग्वाला । बेनु बजावत गावत गीत, अभीत इतै करिगौ कछु रत्याना । हेरत हेरित चकै चहुँ ओर ते झाँकी झरोखन तै ब्रजबाला । देखि सुआनन को रसखनि तज्यौ सब द्योस को ताप कसाला ।