खरी दुपहरी भरी हरी हरी कुंज मँजु देव अलि पुंजन के गुंज हियो हरिजात । सीरे नदनीरन गँभीरन समीर छांह सोवै परे पथिक पुकारैं पिक करि जात । ऎसे मे किसोरी भोरी गोरी कुम्हिलाने मुख पंकज मे पांय धरा धीरज मे धरि जात । सोहैं घनस्याम मग हेरति हथेरी ओट ऊचे धाम बाम चढ़ि आवत उतरि जात ।