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*आम्रपाली राजा चेतक के जमाने में [[वैशाली]] की राजनर्तकी थी।  
'''आम्रपाली''' राजा चेतक के समय में [[वैशाली]] की सुन्दरतम तथा ख्यातिप्राप्त राजनर्तकी थी। [[गौतम बुद्ध]] के वैशाली पधारने पर आम्रपाली ने उन्हें अपने यहाँ भोजन करने के लिए आमत्रित किया था और भगवान बुद्ध के पहुँचने पर उन्हें भोजन कराया था। उसने अपने महल और आम्रकानन (आम का बाग़) को संघ के लिए दान में दिया तथा वहाँ 'विहार' का निर्माण करने का आग्रह किया। आम्रपाली देशभक्ति की परीक्षा में भी खरी उतरी थी। [[अजातशत्रु]] से प्रेम होने के बावजूद देशप्रेम की ख़ातिर अजातशत्रु के अनुग्रह को अस्वीकार कर उसने अपने प्रेम की आहूति देना स्वीकार किया, परन्तु अपने देश और राजा से विश्वासघात करने से इनकार कर दिया।
*[[गौतम बुद्ध]] के वैशाली पधारने पर आम्रपाली ने उन्हें अपने यहाँ भोजन करने के लिए आमत्रित किया था, और भगवान बुद्ध के पहुँचने पर उन्हें भोजन कराया था।
==जन्म==
*अपने महल और आम्रकानन को संघ के लिए दान में दिया तथा वहाँ 'विहार' का निर्माण करने का आग्रह किया। आम्रपाली देशभक्ति की परीक्षा में उस समय खरी उतरी जब [[अजातशत्रु]] ने आम्रपाली की शरण ली।
[[इतिहासकार|इतिहासकारों]] के अनुसार अपने सौंदर्य की ताकत से कई साम्राज्य को मिटा देने वाली आम्रपाली का जन्म लगभग 25 सौ [[वर्ष]] पूर्व [[प्राचीन भारत]] के वैभवशाली नगर [[वैशाली]] के आम्रकुंज में हुआ था। वह वैशाली गणतंत्र के 'महनामन' नामक एक सामंत को मिली थी और बाद में वह सामंत राजसेवा से त्याग पत्र देकर आम्रपाली को पुरातात्विक वैशाली के निकट आज के अंबारा [[ग्राम]] चला आया। जब आम्रपाली की उम्र करीब 11 वर्ष हुई तो सामंत उसे लेकर फिर वैशाली लौट आया।<ref name="AA">{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/buddhism-religion/%E0%A4%AC%E0%A5%8C%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%A7-%E0%A4%AD%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%81%E0%A4%A3%E0%A5%80-%E0%A4%86%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%80-111042000014_1.htm|title= बौद्ध भिक्षुणी आम्रपाली|accessmonthday= 08 दिसम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= वेबदुनिया.कॉम|language= हिन्दी}}</ref>
*अजातशत्रु से प्रेम होने के बावजूद देशप्रेम की ख़ातिर अजातशत्रु के अनुग्रह को अस्वीकार कर अपने प्रेम की आहूति दे दी। परन्तु अपने देश और राजा से विश्वासघात करने से इनकार कर दिया।  
==सर्वश्रेष्ठ सुंदरी==
इतिहासकार मानते हैं कि मात्र 11 वर्ष की छोटी-सी उम्र में ही आम्रपाली को सर्वश्रेष्ठ सुंदरी घोषित कर 'नगरवधु' या 'जनपद कल्याणी' बना दिया गया था। इसके बाद गणतंत्र वैशाली के क़ानून के तहत आम्रपाली को राजनर्तकी बनना पड़ा। प्रसिद्ध चीनी यात्री [[फ़ाह्यान]] और [[ह्वेनसांग]] के यात्रा वृतांतों में भी वैशाली गणतंत्र और आम्रपाली पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है। दोनों ने लगभग एकमत से आम्रपाली को सौंदर्य की मूर्ति बताया है। वैशाली गणतंत्र के क़ानून के अनुसार हज़ारों सुंदरियों में आम्रपाली का चुनाव कर उसे सर्वश्रेष्ठ सुंदरी घोषित कर 'जनपद कल्याणी' की पदवी दी गई थी।
==बुद्ध से भेंट==
आम्रपाली के रूप की चर्चा जगत प्रसिद्ध थी और उस समय उसकी एक झलक पाने के लिए सुदूर देशों के अनेक राजकुमार उसके महल के चारों ओर अपनी छावनी डाले रहते थे। [[वैशाली]] में [[गौतम बुद्ध]] के प्रथम पदार्पण पर उनकी कीर्ति सुनकर आम्रपाली उनके स्वागत के लिए सोलह श्रृंगार कर अपनी परिचारिकाओं सहित [[गंडक नदी]] की तीर पर पहुँची। आम्रपाली को देखकर बुद्ध को अपने शिष्यों से कहना पड़ा कि- "तुम लोग अपनी आँखें बंद कर लो...।" क्योंकि भगवान बुद्ध जानते थे कि आम्रपाली के सौंदर्य को देखकर उनके शिष्यों के लिए संतुलन रखना कठिन हो जाएगा। माना जाता है कि आम्रपाली के मानवीय तत्व से ही प्रभावित होकर भगवान बुद्ध ने 'भिक्षुणी संघ' की स्थापना की थी। इस संघ के जरिए भिक्षुणी आम्रपाली ने नारियों की महत्ता को जो प्रतिष्ठा दी, वह उस समय में एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती थी।<ref name="AA"/>
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[[बिंबसार]] ने आम्रपाली को पाने के लिए वैशाली पर जब आक्रमण किया, तब संयोगवश उसकी पहली मुलाकात आम्रपाली से ही हुई। वह आम्रपाली के रूप-सौंदर्य पर मुग्ध हो गया। माना जाता है कि आम्रपाली से प्रेरित होकर बिंबसार ने अपने राजदरबार में राजनर्तकी के प्रथा की शुरुआत की थी। बिंबसार को आम्रपाली से एक पुत्र भी हुआ था, जो बाद में [[भिक्कु|बौद्ध भिक्षु]] बन गया था।
==भिक्षुणी जीवन==
[[बौद्ध धर्म]] में भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों को निमंत्रित कर भोजन कराने के बाद दक्षिणा के रूप में आम्रपाली द्वारा आम्रकानन भेंट देने की बड़ी ख्याति है। इस घटना के बाद ही [[बुद्ध]] ने स्त्रियों को बौद्ध संघ में प्रवेश की अनुमति दी थी। आम्रपाली इसके बाद सामान्य बौद्ध भिक्षुणी बन गई और वैशाली के हित के लिए उसने अनेक कार्य किए। उसने केश कटा कर भिक्षा पात्र लेकर सामान्य भिक्षुणी का जीवन व्यतीत किया।<ref name="AA"/>


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13:25, 8 दिसम्बर 2014 का अवतरण

आम्रपाली राजा चेतक के समय में वैशाली की सुन्दरतम तथा ख्यातिप्राप्त राजनर्तकी थी। गौतम बुद्ध के वैशाली पधारने पर आम्रपाली ने उन्हें अपने यहाँ भोजन करने के लिए आमत्रित किया था और भगवान बुद्ध के पहुँचने पर उन्हें भोजन कराया था। उसने अपने महल और आम्रकानन (आम का बाग़) को संघ के लिए दान में दिया तथा वहाँ 'विहार' का निर्माण करने का आग्रह किया। आम्रपाली देशभक्ति की परीक्षा में भी खरी उतरी थी। अजातशत्रु से प्रेम होने के बावजूद देशप्रेम की ख़ातिर अजातशत्रु के अनुग्रह को अस्वीकार कर उसने अपने प्रेम की आहूति देना स्वीकार किया, परन्तु अपने देश और राजा से विश्वासघात करने से इनकार कर दिया।

जन्म

इतिहासकारों के अनुसार अपने सौंदर्य की ताकत से कई साम्राज्य को मिटा देने वाली आम्रपाली का जन्म लगभग 25 सौ वर्ष पूर्व प्राचीन भारत के वैभवशाली नगर वैशाली के आम्रकुंज में हुआ था। वह वैशाली गणतंत्र के 'महनामन' नामक एक सामंत को मिली थी और बाद में वह सामंत राजसेवा से त्याग पत्र देकर आम्रपाली को पुरातात्विक वैशाली के निकट आज के अंबारा ग्राम चला आया। जब आम्रपाली की उम्र करीब 11 वर्ष हुई तो सामंत उसे लेकर फिर वैशाली लौट आया।[1]

सर्वश्रेष्ठ सुंदरी

इतिहासकार मानते हैं कि मात्र 11 वर्ष की छोटी-सी उम्र में ही आम्रपाली को सर्वश्रेष्ठ सुंदरी घोषित कर 'नगरवधु' या 'जनपद कल्याणी' बना दिया गया था। इसके बाद गणतंत्र वैशाली के क़ानून के तहत आम्रपाली को राजनर्तकी बनना पड़ा। प्रसिद्ध चीनी यात्री फ़ाह्यान और ह्वेनसांग के यात्रा वृतांतों में भी वैशाली गणतंत्र और आम्रपाली पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है। दोनों ने लगभग एकमत से आम्रपाली को सौंदर्य की मूर्ति बताया है। वैशाली गणतंत्र के क़ानून के अनुसार हज़ारों सुंदरियों में आम्रपाली का चुनाव कर उसे सर्वश्रेष्ठ सुंदरी घोषित कर 'जनपद कल्याणी' की पदवी दी गई थी।

बुद्ध से भेंट

आम्रपाली के रूप की चर्चा जगत प्रसिद्ध थी और उस समय उसकी एक झलक पाने के लिए सुदूर देशों के अनेक राजकुमार उसके महल के चारों ओर अपनी छावनी डाले रहते थे। वैशाली में गौतम बुद्ध के प्रथम पदार्पण पर उनकी कीर्ति सुनकर आम्रपाली उनके स्वागत के लिए सोलह श्रृंगार कर अपनी परिचारिकाओं सहित गंडक नदी की तीर पर पहुँची। आम्रपाली को देखकर बुद्ध को अपने शिष्यों से कहना पड़ा कि- "तुम लोग अपनी आँखें बंद कर लो...।" क्योंकि भगवान बुद्ध जानते थे कि आम्रपाली के सौंदर्य को देखकर उनके शिष्यों के लिए संतुलन रखना कठिन हो जाएगा। माना जाता है कि आम्रपाली के मानवीय तत्व से ही प्रभावित होकर भगवान बुद्ध ने 'भिक्षुणी संघ' की स्थापना की थी। इस संघ के जरिए भिक्षुणी आम्रपाली ने नारियों की महत्ता को जो प्रतिष्ठा दी, वह उस समय में एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती थी।[1]

बिंबसार तथा आम्रपाली

बिंबसार ने आम्रपाली को पाने के लिए वैशाली पर जब आक्रमण किया, तब संयोगवश उसकी पहली मुलाकात आम्रपाली से ही हुई। वह आम्रपाली के रूप-सौंदर्य पर मुग्ध हो गया। माना जाता है कि आम्रपाली से प्रेरित होकर बिंबसार ने अपने राजदरबार में राजनर्तकी के प्रथा की शुरुआत की थी। बिंबसार को आम्रपाली से एक पुत्र भी हुआ था, जो बाद में बौद्ध भिक्षु बन गया था।

भिक्षुणी जीवन

बौद्ध धर्म में भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों को निमंत्रित कर भोजन कराने के बाद दक्षिणा के रूप में आम्रपाली द्वारा आम्रकानन भेंट देने की बड़ी ख्याति है। इस घटना के बाद ही बुद्ध ने स्त्रियों को बौद्ध संघ में प्रवेश की अनुमति दी थी। आम्रपाली इसके बाद सामान्य बौद्ध भिक्षुणी बन गई और वैशाली के हित के लिए उसने अनेक कार्य किए। उसने केश कटा कर भिक्षा पात्र लेकर सामान्य भिक्षुणी का जीवन व्यतीत किया।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 बौद्ध भिक्षुणी आम्रपाली (हिन्दी) वेबदुनिया.कॉम। अभिगमन तिथि: 08 दिसम्बर, 2014।

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