"गाली में गरिमा घोल-घोल -माखन लाल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर
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− | गाली में गरिमा घोल-घोल | + | गाली में गरिमा घोल-घोल, |
− | क्यों बढ़ा लिया यह नेह- | + | क्यों बढ़ा लिया यह नेह-तोल। |
− | कितने मीठे, कितने प्यारे | + | कितने मीठे, कितने प्यारे, |
− | अर्पण के अनजाने विरोध | + | अर्पण के अनजाने विरोध, |
− | कैसे नारद के भक्ति-सूत्र | + | कैसे नारद के भक्ति-सूत्र, |
आ गये कुंज-वन शोध-शोध! | आ गये कुंज-वन शोध-शोध! | ||
− | हिल उठे झूलने भरे झोल | + | हिल उठे झूलने भरे झोल, |
गाली में गरिमा घोल-घोल। | गाली में गरिमा घोल-घोल। | ||
− | जब बेढंगे हो उठे द्वार | + | जब बेढंगे हो उठे द्वार, |
− | जब | + | जब बेकाबू हो उठा ज्वार, |
− | इसने जिस दिन घनश्याम कहा | + | इसने जिस दिन घनश्याम कहा, |
वह बोल उठा परवर-दिगार। | वह बोल उठा परवर-दिगार। | ||
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गाली में गरिमा घोल-घोल। | गाली में गरिमा घोल-घोल। | ||
− | ये बोले इनका मृदुल हास्य | + | ये बोले इनका मृदुल हास्य, |
− | वे कहें कि उनके मृदुल बोल | + | वे कहें कि उनके मृदुल बोल, |
− | भूगोल चुटकियाँ देता है | + | भूगोल चुटकियाँ देता है, |
वह नाच-नाच उट्टा खगोल। | वह नाच-नाच उट्टा खगोल। | ||
− | कुछ तो अपने फरफन्द खोल | + | कुछ तो अपने फरफन्द खोल, |
− | गाली में गरिमा घोल- | + | गाली में गरिमा घोल-घोल॥ |
09:11, 24 दिसम्बर 2011 का अवतरण
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गाली में गरिमा घोल-घोल, |
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