"पतीया मैं कैशी लीखूं, लीखये न जातरे -मीरां" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
प्रीति चौधरी (चर्चा | योगदान) ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - "३" to "3") |
||
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 33: | पंक्ति 33: | ||
<poem> | <poem> | ||
पतीया मैं कैशी लीखूं, लीखये न जातरे॥ध्रु०॥ | पतीया मैं कैशी लीखूं, लीखये न जातरे॥ध्रु०॥ | ||
− | कलम धरत मेरा कर कांपत। नयनमों रड | + | कलम धरत मेरा कर कांपत। नयनमों रड छायो॥1॥ |
− | हमारी बीपत उद्धव देखी जात है। हरीसो कहूं वो जानत | + | हमारी बीपत उद्धव देखी जात है। हरीसो कहूं वो जानत है॥2॥ |
− | मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल रहो | + | मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल रहो छाये॥3॥ |
</poem> | </poem> |
10:10, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
| |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
|
पतीया मैं कैशी लीखूं, लीखये न जातरे॥ध्रु०॥ |