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पुरुषार्थ सिद्धयुपाय (अंग्रेज़ी: Purushartha Siddhyupaya) प्रमुख जैन ग्रन्थ है, जिसके रचियता आचार्य अमृत्चंद्र हैं। आचार्य अमृत्चंद्र दसवीं सदी (विक्रम संवत) के प्रमुख दिगम्बर आचार्य थे।
- पुरुषार्थ सिद्धयुपाय में श्रावक के द्वारा धारण किये जाने वाले अणुव्रत आदि का वर्णन है।
- इसमें अहिंसा के सिद्धांत को भी समझाया गया है।
- इस ग्रन्थ में 226 श्लोक हैं, जिसमें से प्रथम श्लोक मंगलाचरण है।
- पुरुषार्थ सिद्धयुपाय में श्रावक को हिंसा आदि पापों से सावधान किया गया है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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