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आज नयन के बँगले में
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संकेत पाहुने आये री सखि!
 
संकेत पाहुने आये री सखि!
  
जी से उठे
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जी से उठे, कसक पर बैठे,
कसक पर बैठे
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और बेसुधी- के बन घूमें,
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युगल-पलक ले चितवन मीठी,
के बन घूमें
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पथ-पद-चिह्न चूम, पथ भूले,
युगल-पलक
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दीठ डोरियों पर माधव को।
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पथ-पद-चिह्न
 
चूम, पथ भूले!
 
दीठ डोरियों पर
 
माधव को
 
  
बार-बार मनुहार थकी मैं
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पुतली पर बढ़ता-सा यौवन
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पुतली पर बढ़ता-सा यौवन,
 
ज्वार लुटा न निहार सकी मैं !
 
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दोनों कारागृह पुतली के
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सावन की झर लाये री सखि!
 
सावन की झर लाये री सखि!
  
आज नयन के बँगले में
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संकेत पाहुने आये री सखि !  
 
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आज नयन के बँगले में -माखन लाल चतुर्वेदी
माखन लाल चतुर्वेदी
कवि माखन लाल चतुर्वेदी
जन्म 4 अप्रैल, 1889 ई.
जन्म स्थान बावई, मध्य प्रदेश
मृत्यु 30 जनवरी, 1968 ई.
मुख्य रचनाएँ कृष्णार्जुन युद्ध, हिमकिरीटिनी, साहित्य देवता, हिमतरंगिनी, माता, युगचरण, समर्पण, वेणु लो गूँजे धरा, अमीर इरादे, ग़रीब इरादे
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
माखन लाल चतुर्वेदी की रचनाएँ

आज नयन के बँगले में,
संकेत पाहुने आये री सखि!

जी से उठे, कसक पर बैठे,
और बेसुधी- के बन घूमें,
युगल-पलक ले चितवन मीठी,
पथ-पद-चिह्न चूम, पथ भूले,
दीठ डोरियों पर माधव को।

बार-बार मनुहार थकी मैं,
पुतली पर बढ़ता-सा यौवन,
ज्वार लुटा न निहार सकी मैं !
दोनों कारागृह पुतली के,
सावन की झर लाये री सखि!

आज नयन के बँगले में,
संकेत पाहुने आये री सखि !

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