"मन मीत मेरे जरा धरो धीर -दिनेश सिंह" के अवतरणों में अंतर

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अस्ताचल रवि फिर होगा उदय  
 
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कमलिनी-दल खिलेंगे फिर बन में  
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फिर गुंजन करेंगे भ्रमर वीर  
 
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मन मीत मेरे जरा धरो धीर
 
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मन मीत मेरे जीवन पथ पर  
 
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सपनो के फूल बिछाता चल  
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निरख ज्योति अंतरनभ की  
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आशा के दीप जलाता चल
 
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श्रम और स्वप्न के जीवन-रथ पर
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बस चलता चल तू जीवन पथ पर
 
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जीवन हर्षित हो-अमृत से सींच  
 
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मत हो तुम ये मेरे मन अधीर
मिट जायेंगे तेरे भी पीर
व्यथित दिवस भी जायेंगे बीत
मन मीत मेरे जरा धरो धीर

अस्ताचल रवि फिर होगा उदय
कमलिनी-दल खिलेंगे फिर वन में
फिर गुंजन करेंगे भ्रमर वीर
मन मीत मेरे जरा धरो धीर

मन मीत मेरे जीवन पथ पर
सपनों के फूल बिछाता चल
निरख ज्योति अंतर नभ की
आशा के दीप जलाता चल

श्रम-स्वप्न के जीवन-रथ पर
बस चलता चल तू जीवन पथ पर
जीवन हर्षित हो-अमृत से सींच
मन मीत मेरे जरा धरो धीर

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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