"अमर गान -दिनेश सिंह" के अवतरणों में अंतर

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याद आया फिर मेरा बचपन  
 
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ब्यथा ह्रदय के सब विस्मृत कर
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जब जा बैठा-गोदी पर रख सर  
 
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औ उमड़े द्रग पर प्रेम अमर
 
औ उमड़े द्रग पर प्रेम अमर

09:51, 24 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

Icon-edit.gif यह लेख स्वतंत्र लेखन श्रेणी का लेख है। इस लेख में प्रयुक्त सामग्री, जैसे कि तथ्य, आँकड़े, विचार, चित्र आदि का, संपूर्ण उत्तरदायित्व इस लेख के लेखक/लेखकों का है भारतकोश का नहीं।

याद आया फिर मेरा बचपन
ब्यथा हृदय के सब विस्मृत कर
जब जा बैठा-गोदी पर रख सर
औ उमड़े द्रग पर प्रेम अमर

उठी हथेली आशीष भर भर
भरे नयन में वो खारा जल
सीचा मेरा सूखा मधुबन
याद आया फिर मेरा बचपन

बोल रहा था मेरा उर कल
छुप जाऊं फिर आँचल के तल
फिर निद्रा आये अमर गान सुन
याद आया फिर मेरा बचपन

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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