उत्रवात भूमि
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उत्रवात भूमि खड़े किनारों की भूलभूलैया से बनी भू-आकृति होती है, जिन्हें पार करना काफ़ी कठिन होता है।[1]
- यह कृषि के लिए बहुत अधिक तीव्र वाले ढाल होते हैं।
- इन क्षेत्रों के अध:स्तर में प्राय: मृतिका और शैल के स्तर पाये जाते हैं, जो धरातलीय नदियों और नालों द्वारा अत्यधिक विदरित होते हैं।
- उत्खात भूमि की शैल अभेद्यता, विरल वनस्पति आवरण और अल्पकालीन किंतु भारी वर्षा से तीव्र जल बहाव के संयुक्त कारणों से विकास होता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भौगोलिक शब्दकोश |लेखक: आर. पी. चतुर्वेदी |प्रकाशक: रावत पब्लिकेशन्स, जयपुर एवं नई दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 33 |