पीलियन तुल्य ज्वालामुखी
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
पीलियन तुल्य ज्वालामुखी सबसे अधिक विनाशकारी होते हैं। इसका उद्गार सबसे अधिक विस्फोटक तथा भयंकर होता है। इससे निकलने वाले लावा में सिलिका की मात्रा अधिक होती है। जिसके कारण लावा अत्यधिक अम्लीय और चिपचिपा होता है। इस ज्वालामुखी में अगला उद्गार पिछले उद्गार से निर्मित ज्वालामुखी शंकु को तोड़ते हुए होता है। जैसे- मार्टिनिक द्वीप में पीली ज्वालामुखी, सुण्डा जलडमरू मध्य का क्राकाटाओ ज्वालामुखी और फिलीपींस का माउन्ट ताल ज्वालामुखी।
- जब ज्वालामुखी उद्भेदन किसी एक केंद्रीय मुख से भारी धमाके के साथ होता है तो उसे 'केन्द्रीय उद्भेदन' कहते हैं। केन्द्रीय उद्गार विनाशात्मक प्लेटों के किनारों के सहारे होता है। केन्द्रीय उद्गार कई प्रकार के होते हैं-
- पीलियन तुल्य ज्वालामुखी
- वल्कैनो तुल्य ज्वालामुखी
- स्ट्राम्बोली तुल्य ज्वालामुखी
- हवाईयन तुल्य ज्वालामुखी
इन्हें भी देखें: पर्वत, पहाड़ी, पर्वतमाला, पर्वत कटक एवं पर्वत श्रेणी
|
|
|
|
|