व्यापारिक पवन
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यापारिक पवन (अंग्रेज़ी: Trade Wind) वे हवाएँ हैं, जो उपोष्ण उच्च दाब क्षेत्रों से भूमध्य रेखीय निम्न दाब की ओर, उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तर-पूर्व और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिण-पूर्व दिशाओं से चलती हैं। इसलिए इनको उत्तर-पूर्वी व्यापारिक पवन और दक्षिण-पूर्वी व्यापारिक पवन कहा जाता है।
- इस प्रकार की पवनें वर्ष भर एक ही दिशा में निरन्तर बहती हैं। सामान्यतः इस प्रकार की पवन को उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तर से दक्षिण दिशा में तथा दक्षिण गोलार्द्ध में दक्षिण से उत्तरी दिशा में प्रवाहित होना चाहिए, किन्तु फ़ेरेल के नियम एवं कोरोऑलिस बल के कारण ये उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी दायीं और तथा दक्षिण गोलार्द्ध में अपनी बायीं ओर विक्षेपित हो जाती हैं।
- व्यापरिक पवनों को अंग्रेज़ी में ‘ट्रेड विंड्स’ (Trade Winds) कहते हैं। यहाँ ‘ट्रेड’ शब्द जर्मन भाषा से लिया गया है, जिसका तात्पर्य 'निर्दिष्ट पथ' या 'मार्ग' से है। इससे स्पष्ट है कि ये हवाएँ एक निर्दिष्ट पथ पर वर्ष भर एक ही दिशा में बहती रहती हैं।
- उत्तरी गोलार्ध में ये हवाएँ उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर बहती हैं। वहीं दक्षिणी गोलार्ध में इनकी दिशा दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर होती है।
- नियमित दिशा में निरंतर प्रवाह के कारण प्राचीन काल में व्यापारियों को पाल युक्त जलयानों के संचालन में इन हवाओं से काफ़ी मदद मिलती थी, जिस कारण इन्हें व्यापारिक पवन कहा जाने लगा था।
- भूमध्य रेखा के समीप दोनों व्यापारिक पवन आपस में मिलकर अत्यधिक तापमान के कारण ऊपर उठ जाती हैं तथा घनघोर वर्षा का कारण बन जाती हैं, क्योंकि वहाँ पहुँचते-पहुँचते ये जलवाष्प से पूर्णत: संतृप्त हो जाती हैं।
- व्यापारिक पवनों का विश्व के मौसम पर भी व्यापक प्रभाव पड़ता है।
|
|
|
|
|