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'''< | '''[[धृतराष्ट्र]]<ref>धृतराष्ट्र [[पाण्डु]] के बड़े भाई थे। [[गाँधारी]] इनकी पत्नी थी और [[कौरव]] इनके पुत्र। वे पाण्डु के बाद [[हस्तिनापुर]] के राजा बने थे।</ref> उवाच''' | ||
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< | [[कौरव|कौरवों]]<ref>[[गान्धारी]] और [[धृतराष्ट्र]] के सौ पुत्र कौरव कहलाते हैं। [[दुर्योधन]] इनमें सबसे बड़ा था।</ref> में वृद्ध बड़े प्रतापी पितामह [[भीष्म]]<ref>भीष्म [[महाभारत]] के प्रमुख पात्रों में से एक हैं। ये महाराजा [[शांतनु]] के पुत्र थे। अपने [[पिता]] को दिये गये वचन के कारण इन्होंने आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया था। इन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था।</ref> ने उस [[दुर्योधन]]<ref>[[धृतराष्ट्र]]-[[गांधारी]] के सौ पुत्रों में सबसे बड़ा पुत्र दुर्योधन था। दुर्योधन [[गदा शस्त्र|गदा]] युद्ध में पारंगत था और [[श्रीकृष्ण]] के बड़े भाई [[बलराम]] का शिष्य था।</ref> के हृदय में हर्ष उत्पन्न करते हुए उच्च स्वर से सिंह की दहाड़ के समान गरजकर शंख बजाया ।।12।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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11:23, 3 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-1 श्लोक-12 / Gita Chapter-1 Verse-12
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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