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*'हरति पापानि-इति हरि' इस व्युत्पत्ति से भगवान विष्णु अथवा श्रीकृष्ण तथा [[राम|श्रीराम]] का नाम हरि है।<ref>[[महाभारत]] [[शान्ति पर्व महाभारत|शान्तिपर्व]] 342.68</ref> | *'हरति पापानि-इति हरि' इस व्युत्पत्ति से भगवान विष्णु अथवा श्रीकृष्ण तथा [[राम|श्रीराम]] का नाम हरि है।<ref>[[महाभारत]] [[शान्ति पर्व महाभारत|शान्तिपर्व]] 342.68</ref> | ||
*श्रीकृष्ण साधारण व्यक्ति न होकर युग पुरुष थे। उनके व्यक्तित्व में भारत को एक प्रतिभा सम्पन्न राजनीतिवेत्ता ही नही, एक | *श्रीकृष्ण साधारण व्यक्ति न होकर युग पुरुष थे। उनके व्यक्तित्व में भारत को एक प्रतिभा सम्पन्न राजनीतिवेत्ता ही नही, एक महान् कर्मयोगी और दार्शनिक प्राप्त हुआ, जिसका '[[गीता]]' ज्ञान समस्त मानव-जाति एवं सभी देश-काल के लिए पथ-प्रदर्शक है। | ||
*[[कृष्ण|भगवान श्रीकृष्ण]] की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है। | *[[कृष्ण|भगवान श्रीकृष्ण]] की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है। | ||
07:31, 6 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
हरि | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- हरि (बहुविकल्पी) |
मुख्य लेख : कृष्ण
हरि भगवान विष्णु का ही एक प्रसिद्ध नाम है। सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु सर्वपापहारी, पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं।
- श्रीकृष्ण हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं।
- 'हरति पापानि-इति हरि' इस व्युत्पत्ति से भगवान विष्णु अथवा श्रीकृष्ण तथा श्रीराम का नाम हरि है।[1]
- श्रीकृष्ण साधारण व्यक्ति न होकर युग पुरुष थे। उनके व्यक्तित्व में भारत को एक प्रतिभा सम्पन्न राजनीतिवेत्ता ही नही, एक महान् कर्मयोगी और दार्शनिक प्राप्त हुआ, जिसका 'गीता' ज्ञान समस्त मानव-जाति एवं सभी देश-काल के लिए पथ-प्रदर्शक है।
- भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत शान्तिपर्व 342.68