"गीता 1:36": अवतरणों में अंतर
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स्वजनों को मारना सब प्रकार से हानिकारक बतलाकर अब < | स्वजनों को मारना सब प्रकार से हानिकारक बतलाकर अब [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के वह तीसरे पुत्र थे। अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वह [[द्रोणाचार्य]] का सबसे प्रिय शिष्य था। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में जीतने वाला भी वही था।</ref> अपना मत प्रकट कर रहे हैं- | ||
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हे < | हे जनार्दन<ref>मधुसूदन, केशव, वासुदेव, जनार्दन, भगवान् कृष्ण का ही सम्बोधन है।</ref> ! [[धृतराष्ट्र]]<ref>धृतराष्ट्र [[पाण्डु]] के बड़े भाई थे। [[गाँधारी]] इनकी पत्नी थी और [[कौरव]] इनके पुत्र। वे पाण्डु के बाद [[हस्तिनापुर]] के राजा बने थे।</ref> के पुत्रों को मारकर हमें क्या प्रसन्नता होगी? इन आततायियों को मारकर तो हमें पाप ही लगेगा ।।36।। | ||
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13:17, 3 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-1 श्लोक-36 / Gita Chapter-1 Verse-36
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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