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* इसके अंतर्गत सभी लेख स्वतंत्र लेख हैं। इन लेखों में प्रयुक्त सामग्री, जैसे कि तथ्य, आँकड़े, विचार, चित्र आदि का, संपूर्ण उत्तरदायित्व इन लेखों के लेखकों का है।
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* भारतकोश का इन लेखों से कॉपीराइट संबंधी कोई उत्तरदायित्व नहीं है।  
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<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[स्वर्गीय भारतीय साहित्यकारों को स्मृति-श्रद्धांजलि -डॉ. प्रभाकर माचवे]]'''</div>
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[कश्मीर में हिन्दी : स्थिति और संभावनाएँ -प्रो. चमनलाल सप्रू]]'''</div>
1976 में गत विश्व हिन्दी सम्मेलन के बाद आज तक, छह वर्षों में अनेक श्रेष्ठ और ज्येष्ठ, प्रवीण और नवीन भारतीय साहित्यकार, भाषावैज्ञानिक, हिन्दीप्रेमी अहिन्दी-भाषी विद्वान, कवि, उपन्यासकार, नाटककार आदि को क्रूर काल हममें से छीनकर ले गया। उन सब का स्मरण एक लेख में करना सम्भव नहीं। फिर भी विश्व हिन्दी सम्मेलन ने जिनका सम्मान प्रथम और द्वितीय सम्मेलनों में किया था और जो सक्रिय रूप से इस संस्था से संबंद्ध थे, जिनके आशीर्वादों की छत्रछाया में हिन्दी का कार्य बढ़ा, ऐसे सब सहृदय साहित्य-सेवकों को हमारी विनम्र प्रणाम-श्रद्धांजलि निवेदित है। '''[[स्वर्गीय भारतीय साहित्यकारों को स्मृति-श्रद्धांजलि -डॉ. प्रभाकर माचवे|.... और पढ़ें]]'''
[[जम्मू और कश्मीर|जम्मू-कश्मीर]] राज्य छोटा [[भारत]] है। यहाँ अनेक भाषाभाषी लोग रहते हैं। यहाँ कई इलाके ऐसे हैं, जहाँ बर्फ पिघलने का नाम ही नहीं लेती तो कई इलाके ऐसे भी हैं, जो गर्मियों में तापमान की दृष्टि से देश के किसी भी गर्म क्षेत्र की याद दिलाते हैं। मुख्यतया राज्य में जो प्रमुख भाषाएँ एवं बोलियाँ बोली जाती हैं, वे हैं- [[उर्दू]], [[हिन्दी]], [[कश्मीरी भाषा|कश्मीरी]], [[डोगरी भाषा|डोगरी]], बौद्धी (लद्दाखी), बल्ती, [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]] एवं गोजरी ([[पहाड़ी बोली|पहाड़ी]])। इनमें भी तीन प्रमुख भाषाएँ कश्मीरी, डोगरी और लद्दाखी राज्य की तीन इकाइयों की तीन प्रमुख भाषाएँ हैं। यह एक विडंबना है कि उर्दू राज्य के किसी भी व्यक्ति की मातृभाषा न होते हुए भी पूरे राज्य की संपर्क भाषा है और साथ ही राजभाषा भी है। '''[[कश्मीर में हिन्दी : स्थिति और संभावनाएँ -प्रो. चमनलाल सप्रू|.... और पढ़ें]]'''
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<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[ट्रेन आई और भगदड़ मच गयी -श्रीकृष्ण पांडेय]]'''</div>
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[नेपाल में हिन्दी और हिन्दी साहित्य -सूर्यनाथ गोप]]'''</div>
<div id="rollnone"> [[चित्र:Train.jpg |right|border|110px|link=ट्रेन आई और भगदड़ मच गयी -श्रीकृष्ण पांडेय]] </div>
[[भारत]] के उत्तर में लगभग 500 मील की लम्बाई में पूरब से पश्चिम तक फैला [[नेपाल]] जहाँ अपनी नैसर्गिक सुषमा और संपदा के लिए 'एशिया का स्विटजरलैंड' कहा जा सकता है, वहीं अपने शौर्य एवं वीरता तथा सांस्कृतिक चेतना के लिए [[हिमालय]] की गोद में पला यह राष्ट्र हिमालय की ही तरह एशिया का सजग प्रहरी भी कहा जा सकता है। इस राष्ट्र ने अपनी सजगता का परिचय बारहवीं शताब्दी से ही देना शुरू कर दिया था, जब भारत पर पश्चिम से लगातार आक्रमणों का नया दौर प्रारंभ हुआ था। तब से लेकर भारत में अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना तक अनेक हिन्दू राजाओं जैसे हरिसिंह देव, भारत में अंग्रेज़ी उपनिवेश के विरुद्ध लड़ने वालों, जैसे [[तात्या टोपे]], [[बेगम हजरत महल]] आदि प्रमुख व्यक्तियों का शरणास्थल भी यह देश रहा है। '''[[नेपाल में हिन्दी और हिन्दी साहित्य -सूर्यनाथ गोप|.... और पढ़ें]]'''
1895 में जन्म लिया हुआ सिनेमा 100 से ज्यादा वर्ष पार कर चुका है। मजे की बात यह है कि सिनेमा ईजाद होने के मात्र 6 माह बाद भारत पहुँच गया। भारत में लूमिएर बंधुओं का पहला प्रदर्शन मुंबई के वाट्सन होटल में 7 जुलाई 1896 में किया गया था। इस प्रदर्शन में भारतीय सिनेमा के पितामह दादा साहब फाल्के भी उपस्थित थे। चूंकि लुमिएर बंधुओं ने व्यापार के उद्देश्य से इस तकनीकी की खोज की थी तो उनका इरादा इसे जल्द से जल्द पूरे विश्व में दिखाकर ज्यादा से ज्यादा धन कमाना था। इन सौ से अधिक वर्षों में सिनेमा कहाँ से कहाँ पहुँच गया है कहने की आवश्यकता नहीं। आज हालीवुड से बॉलीवुड तक एक से बढ़कर एक विशेष तकनीक की फिल्में बन रही है। लेकिन सिनेमा के जन्म से जुड़ी कुछ दिलचस्प कहानियाँ जो बहुत ही अद्भुत एवं रोमांचक है शायद ही आप जानते हों। '''[[ट्रेन आई और भगदड़ मच गयी -श्रीकृष्ण पांडेय|.... और पढ़ें]]'''
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08:12, 12 मई 2021 के समय का अवतरण

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चयनित लेख

जम्मू-कश्मीर राज्य छोटा भारत है। यहाँ अनेक भाषाभाषी लोग रहते हैं। यहाँ कई इलाके ऐसे हैं, जहाँ बर्फ पिघलने का नाम ही नहीं लेती तो कई इलाके ऐसे भी हैं, जो गर्मियों में तापमान की दृष्टि से देश के किसी भी गर्म क्षेत्र की याद दिलाते हैं। मुख्यतया राज्य में जो प्रमुख भाषाएँ एवं बोलियाँ बोली जाती हैं, वे हैं- उर्दू, हिन्दी, कश्मीरी, डोगरी, बौद्धी (लद्दाखी), बल्ती, पंजाबी एवं गोजरी (पहाड़ी)। इनमें भी तीन प्रमुख भाषाएँ कश्मीरी, डोगरी और लद्दाखी राज्य की तीन इकाइयों की तीन प्रमुख भाषाएँ हैं। यह एक विडंबना है कि उर्दू राज्य के किसी भी व्यक्ति की मातृभाषा न होते हुए भी पूरे राज्य की संपर्क भाषा है और साथ ही राजभाषा भी है। .... और पढ़ें

भारत के उत्तर में लगभग 500 मील की लम्बाई में पूरब से पश्चिम तक फैला नेपाल जहाँ अपनी नैसर्गिक सुषमा और संपदा के लिए 'एशिया का स्विटजरलैंड' कहा जा सकता है, वहीं अपने शौर्य एवं वीरता तथा सांस्कृतिक चेतना के लिए हिमालय की गोद में पला यह राष्ट्र हिमालय की ही तरह एशिया का सजग प्रहरी भी कहा जा सकता है। इस राष्ट्र ने अपनी सजगता का परिचय बारहवीं शताब्दी से ही देना शुरू कर दिया था, जब भारत पर पश्चिम से लगातार आक्रमणों का नया दौर प्रारंभ हुआ था। तब से लेकर भारत में अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना तक अनेक हिन्दू राजाओं जैसे हरिसिंह देव, भारत में अंग्रेज़ी उपनिवेश के विरुद्ध लड़ने वालों, जैसे तात्या टोपे, बेगम हजरत महल आदि प्रमुख व्यक्तियों का शरणास्थल भी यह देश रहा है। .... और पढ़ें

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