"गीता 1:47": अवतरणों में अंतर
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रणभूमि में शोक से उद्विग्न मन वाला <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर | रणभूमि में शोक से उद्विग्न मन वाला <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था। | ||
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> इस प्रकार कहकर वाण सहित धनुष को त्यागकर रथ के पिछले भाग में बैठ गया ।।47।। | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> इस प्रकार कहकर वाण सहित धनुष को त्यागकर रथ के पिछले भाग में बैठ गया ।।47।। | ||
07:50, 20 फ़रवरी 2011 का अवतरण
गीता अध्याय-1 श्लोक-47 / Gita Chapter-1 Verse-47
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