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<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[ट्रेन आई और भगदड़ मच गयी -श्रीकृष्ण पांडेय]]'''</div> | <div align="center" style="color:#34341B;">'''[[ट्रेन आई और भगदड़ मच गयी -श्रीकृष्ण पांडेय]]'''</div> | ||
<div id="rollnone"> [[चित्र:Train.jpg |right|border|110px|link=ट्रेन आई और भगदड़ मच गयी -श्रीकृष्ण पांडेय]] </div> | <div id="rollnone"> [[चित्र:Train.jpg |right|border|110px|link=ट्रेन आई और भगदड़ मच गयी -श्रीकृष्ण पांडेय]] </div> | ||
[[1895]] में जन्म लिया हुआ सिनेमा 100 से | [[1895]] में जन्म लिया हुआ सिनेमा 100 से ज़्यादा वर्ष पार कर चुका है। मजे की बात यह है कि सिनेमा ईजाद होने के मात्र 6 माह बाद [[भारत]] पहुँच गया। भारत में लूमिएर बंधुओं का पहला प्रदर्शन [[मुंबई]] के वाट्सन होटल में 7 जुलाई 1896 में किया गया था। इस प्रदर्शन में [[भारतीय सिनेमा]] के पितामह [[दादा साहब फाल्के]] भी उपस्थित थे। चूंकि लुमिएर बंधुओं ने व्यापार के उद्देश्य से इस तकनीकी की खोज की थी तो उनका इरादा इसे जल्द से जल्द पूरे विश्व में दिखाकर ज़्यादा से ज़्यादा धन कमाना था। इन सौ से अधिक वर्षों में सिनेमा कहाँ से कहाँ पहुँच गया है कहने की आवश्यकता नहीं। आज हालीवुड से [[बॉलीवुड]] तक एक से बढ़कर एक विशेष तकनीक की फिल्में बन रही है। लेकिन सिनेमा के जन्म से जुड़ी कुछ दिलचस्प कहानियाँ जो बहुत ही अद्भुत एवं रोमांचक है शायद ही आप जानते हों। '''[[ट्रेन आई और भगदड़ मच गयी -श्रीकृष्ण पांडेय|.... और पढ़ें]]''' | ||
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10:11, 26 जनवरी 2017 का अवतरण
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