"गीता 1:22": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - '<td> {{गीता अध्याय}} </td>' to '<td> {{गीता अध्याय}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>')
 
छो (1 अवतरण)
(कोई अंतर नहीं)

10:54, 21 मार्च 2010 का अवतरण

गीता अध्याय-1 श्लोक-22 / Gita Chapter-1 Verse-22

यावदेतान्निरीक्षेऽहं योद्धुकामानवस्थितान् ।
कैर्मया सह योद्धव्यमस्मिन्रणसमुद्यमे ।।22।।



और जब तक कि मैं युद्ध क्षेत्र में डटे हुए युद्ध के अभिलाषी इन विपक्षी योद्धाओं को भली प्रकार देख लूँ कि इस युद्ध रूप व्यापार में मुझे किन-किन के साथ युद्ध करना योग्य है, तब तक उसे खड़ा रखिये ।।22।।

And keep it there till I have carefully observed these warriors drawn up for battle, and have seen with whom I have to engage in this fight.


यावत् = जब तक; अहम् = मैं; एतान् = इन; अवस्थितान् = स्थित हुए; योद्वुकामान् = यु़द्व की कामना वालों को; निरीक्षे = अच्छी प्रकार देख लूं(कि); अस्मिन् = इस; रणसमुद्यमें = युद्वरूप व्यापार में; मया =मुझे; कै: = किनकिन के; सह = साथ; योद्वव्यम् = युद्व करना योग्य है।



अध्याय एक श्लोक संख्या
Verses- Chapter-1

1 | 2 | 3 | 4, 5, 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17, 18 | 19 | 20, 21 | 22 | 23 | 24, 25 | 26 | 27 | 28, 29 | 30 | 31 | 32 | 33, 34 | 35 | 36 | 37 | 38, 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)