"गीता 1:44": अवतरणों में अंतर
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इस प्रकार स्वजन-वध से होने वाले | इस प्रकार स्वजन-वध से होने वाले महान् अनर्थ का वर्णन करके अब [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के वह तीसरे पुत्र थे। अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वह [[द्रोणाचार्य]] का सबसे प्रिय शिष्य था। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में जीतने वाला भी वही था।</ref> युद्ध के उद्योग, रूप और कृत्य पर शोक प्रकट करते हैं- | ||
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14:02, 30 जून 2017 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-1 श्लोक-44 / Gita Chapter-1 Verse-44
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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