हमें जिनके लिये राज्य, भोग और सुखादि अभीष्ट हैं, वे ही ये सब धन और जीवन की आशा को त्याग कर युद्ध में खड़े हैं । गुरुजन, ताऊ-चाचे, लड़के और उसी प्रकार दादे, मामे, ससुर, पौत्र, साले तथा और भी सम्बन्धी लोग हैं ।।33-34।।
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Those very persons for whose sake we covet the throne, luxuries and pleasures,-teachers, uncles, sons and nephews and even so grand-uncles and great grand-uncles, maternal uncles, fathers-in-law, grand-nephews, brothers-in-law and other relations, are here arrayed on the battle-field risking their lives and wealth(33-34)
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