हे मधुसूदन[2] ! मुझे मारने पर भी अथवा तीनों लोकों के राज्य के लिये भी मै इन सबको मारना नहीं चाहता, फिर पृथ्वी के लिये तो कहना ही क्या है ? ।।35।।
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To slayer of madhu, I do not want to kill them, though they should slay me, even for the throne of the three worlds, how much the less form eathly lordship ! (35)
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