अतएव हे माधव[3] ! अपने ही बान्धव धृतराष्ट्र[4] के पुत्रों को मारने के लिये हम योग्य नहीं हैं, क्योंकि अपने ही कुटुम्ब को मारकर हम कैसे सुखी होंगे ? ।।37।।
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Therefore, Krishna, it does not behove us to kill our relations, the sons of Dhratarastra. For how can we be happy after killing our own kinsmen ?(37)
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