हे श्रीकृष्ण[2] ! पाप के अधिक बढ जाने से कुल की स्त्रियाँ अत्यन्त दूषित हो जाती हैं और हे वार्ष्णेय[3] ! स्त्रियों के दूषित हो जाने पर वर्णसंकर उत्पन्न होता है ।।41।।
|
With the preponderance of vice, Krishna, the women of the family become corrupt, and with the corruption of women, o descendant of vrsni, there ensues an intermixture of castes.(41)
|