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08:34, 11 सितम्बर 2012 के समय का अवतरण
विशाखदत्त गुप्तकाल की विभूति थे। इनके दो नाटक प्रसिद्ध हैं-
- मुद्राराक्षस तथा
- देवीचन्द्रगुप्तम्।
- मुद्राराक्षस में चन्द्रगुप्त मौर्य के जीवन से सम्बन्धित घटनाओं का उल्लेख मिलता है।
- देवीचन्द्रगुप्तम् से गुप्तवंशी शासक रामगुप्त के विषय में सूचनाएँ प्राप्त होती है।
- यह नाटक अपने मूल रूप में नहीं मिलता। इसके कुछ अंश 'नाट्य दर्पण' में प्राप्त होते हैं।
- विशाखदत्त ऐतिहासिक प्रवृत्ति के लेखक हैं। इनके नाटक वीर रस प्रधान हैं।
- मुद्राराक्षस में प्रेमकथा, नायिका, विदूषक आदि का अभाव है तथा इस दृष्टि से यह संस्कृत साहित्य में अपना अलग स्थान रखता है।
- इस ग्रंथ के चरित्र-चिरण में विशेष निपुणता का प्रदर्शन मिलता है।
- इसकी भाषा प्रभावपूर्ण है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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