अजितसेन
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
लक्ष्मी गोस्वामी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:41, 14 जून 2011 का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
आचार्य अजितसेन
- ये भी वि. सं. 18वीं शती के तार्किक हैं।
- इन्होंने 'परीक्षामुख' पर 'न्यायमणिदीपिका' नाम की व्याख्या लिखी है, जो उसकी पाँचवीं टीका है।
- इसका उल्लेख चारुकीर्ति ने 'प्रमेयरत्नालंकार[1] में किया है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ प्रमेयरत्नालंकार,पृ0 181