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*उसका एक अच्छा आधुनिक सम्पादन के साथ संस्करण निकलना चाहिए।  
 
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12:24, 14 जुलाई 2010 का अवतरण

आचार्य अभयचन्द्र

  • ये वि. सं. 13वीं शती के तार्किक हैं।
  • इन्होंने अकलंकदेव के तर्कग्रन्थ 'लघीयस्त्रय' पर 'लघीयस्त्रयतात्पर्यवृत्ति' नाम की स्पष्टार्थबोधक लघुकाय वृत्ति लिखी है, जो माणिकचन्द्र दि0 जैन ग्रन्थमाला, बम्बई से प्रकाशित हो चुकी है, पर वह अलभ्य है।
  • उसका एक अच्छा आधुनिक सम्पादन के साथ संस्करण निकलना चाहिए।
  • इसकी तर्कपद्धति सुगम एवं आकर्षक है।

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