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*इस नगर के पास ही पुले दुरन्ता में आरामाई भाषा में [[मौर्य]] सम्राट [[अशोक के शिलालेख|अशोक का शिलालेख]] मिला है। | *इस नगर के पास ही पुले दुरन्ता में आरामाई भाषा में [[मौर्य]] सम्राट [[अशोक के शिलालेख|अशोक का शिलालेख]] मिला है। | ||
*इससे यह प्रमाणित होता है कि, 'लगमान' अशोक के [[मौर्य साम्राज्य]] के अंतर्गत ही आता था। | *इससे यह प्रमाणित होता है कि, 'लगमान' अशोक के [[मौर्य साम्राज्य]] के अंतर्गत ही आता था। | ||
− | *अशोक के लगभग एक हज़ार वर्ष बाद यह जयपाल के राज्य में सम्मिलित था। | + | *अशोक के लगभग एक हज़ार वर्ष बाद यह [[जयपाल]] के राज्य में सम्मिलित था। |
*लगभग 990 ई. में अमीर [[सुबुक्तगीन]] ने इसे जयपाल से छीन लिया। | *लगभग 990 ई. में अमीर [[सुबुक्तगीन]] ने इसे जयपाल से छीन लिया। | ||
*इसके बाद से ही 'लगमान' [[अफ़ग़ानिस्तान]] के राज्य का एक भाग है। | *इसके बाद से ही 'लगमान' [[अफ़ग़ानिस्तान]] के राज्य का एक भाग है। |
09:13, 15 सितम्बर 2012 के समय का अवतरण
लगमान अथवा 'लमगान' अफ़ग़ानिस्तान में जलालाबाद और काबुल नदी के उत्तरी तट पर स्थित एक स्थानीय नगर है। पुरातात्विक खोजों से यह सिद्ध हुआ है कि, पहले यह नगर सम्राट अशोक के साम्राज्य के अंतर्गत आता था।
- इस नगर के पास ही पुले दुरन्ता में आरामाई भाषा में मौर्य सम्राट अशोक का शिलालेख मिला है।
- इससे यह प्रमाणित होता है कि, 'लगमान' अशोक के मौर्य साम्राज्य के अंतर्गत ही आता था।
- अशोक के लगभग एक हज़ार वर्ष बाद यह जयपाल के राज्य में सम्मिलित था।
- लगभग 990 ई. में अमीर सुबुक्तगीन ने इसे जयपाल से छीन लिया।
- इसके बाद से ही 'लगमान' अफ़ग़ानिस्तान के राज्य का एक भाग है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 417 |