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'''मानसून''' से अभिप्राय है- 'वे हवाएँ है, जिनकी दिशा ऋतु के अनुसार बदल जाती है।' या '[[हिन्द महासागर]] एवं [[अरब सागर]] की ओर से [[भारत]] के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली वे विशेष हवाएँ, जो भारत, [[पाकिस्तान]], [[बांग्लादेश]] आदि में भारी [[वर्षा]] करातीं हैं।' मानसून भारतीय [[कृषि]] और अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम है, इसके साथ ही भारत के लोक जीवन से भी गहरे जुड़ा है। यह गर्मी की तपिश से निजात दिलाता है और लोगों में उत्साह व खुशी का संचार करता है। भारत में मानसून हिन्द महासागर व अरब सागर की ओर से [[हिमालय]] की ओर आने वाली हवाओं पर निर्भर करता है। जब ये हवाएँ भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर पश्चिमी घाट से टकराती हैं तो भारत तथा आस-पास के देशों में भारी वर्षा होती है। ये हवाएँ दक्षिण एशिया में [[जून]] से [[सितम्बर]] तक सक्रिय रहती हैं। वैसे किसी भी क्षेत्र का मानसून उसकी जलवायु पर निर्भर करता है।
 
'''मानसून''' से अभिप्राय है- 'वे हवाएँ है, जिनकी दिशा ऋतु के अनुसार बदल जाती है।' या '[[हिन्द महासागर]] एवं [[अरब सागर]] की ओर से [[भारत]] के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली वे विशेष हवाएँ, जो भारत, [[पाकिस्तान]], [[बांग्लादेश]] आदि में भारी [[वर्षा]] करातीं हैं।' मानसून भारतीय [[कृषि]] और अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम है, इसके साथ ही भारत के लोक जीवन से भी गहरे जुड़ा है। यह गर्मी की तपिश से निजात दिलाता है और लोगों में उत्साह व खुशी का संचार करता है। भारत में मानसून हिन्द महासागर व अरब सागर की ओर से [[हिमालय]] की ओर आने वाली हवाओं पर निर्भर करता है। जब ये हवाएँ भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर पश्चिमी घाट से टकराती हैं तो भारत तथा आस-पास के देशों में भारी वर्षा होती है। ये हवाएँ दक्षिण एशिया में [[जून]] से [[सितम्बर]] तक सक्रिय रहती हैं। वैसे किसी भी क्षेत्र का मानसून उसकी जलवायु पर निर्भर करता है।
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भारत एक [[कृषि]] प्रधान देश है। यहाँ की अर्थव्यवस्था अधिकांशत: कृषि पर ही निर्भर है। इसीलिए यह बहुत आवश्यक है कि पर्याप्त मात्रा में [[जल]] कृषि के लिए उपलब्ध हो। मानसून में होने वाली अच्छी वर्षा काफ़ी हद तक किसानों को समृद्ध बना देती है। भारत ही नहीं विश्व की कई प्रमुख फ़सलें मानसूनी वर्षा पर निर्भर हैं। मानसूनी हवाओं के दो प्रकार होते हैं-
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[[भारत]] समेत पूरे दक्षिण एशिया में कृषि का आधार मानसून है। 'मानसून' शब्द की उत्पत्ति [[अरबी भाषा]] के 'मौसिम' शब्द से हुई है। अरब के समुद्री व्यापारियों ने [[समुद्र]] से स्थल की ओर या इसके विपरीत चलने वाली हवाओं को 'मौसिम' कहा, जो आगे चलकर 'मानसून' कहा जाने लगा। मानसून का जादू और इसका जीवन–संगीत भारतीय उपमहाद्वीप में ही फैला हो, ऐसा नहीं है। वास्तव में, यह [[पृथ्वी]] पर सबसे बड़ी जलवायु संरचना है। [[भूगोल]] पर इसका विस्तार लगभग 10 डिग्री दक्षिणी अक्षांश से लेकर 25 डिग्री उत्तरी अक्षांश तक है। यद्यपि मानसून मुख्य रूप से दक्षिण और दक्षिण–पूर्व एशिया, मध्य अफ़्रीका तथा उत्तरी [[ऑस्ट्रेलिया]] में पूर्ण विकसित रूप में मिलता है, किंतु [[अमेरिका]] और मेक्सिको के पश्चिमी भागों तक इसके तार जुड़े हैं। संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप के अलावा [[एशिया]] में [[थाइलैंड]], [[म्यांमार]], लाओस तथा वियतनाम में मानसून का प्रभाव गर्मियों में स्पष्ट तौर पर दिखाई देता है, जबकि [[हिन्द महासागर]] के विस्तृत जलराशि के चलते इंडोनेशियाई द्वीप समूहों पर इसका प्रभाव कम है। दक्षिणी चीन एवं फिलीपींस में जाड़े के दिनों में चलने वाली व्यापारिक पवनों का गर्मी के दिनों में गायब होना भी मानसूनी हवाओं के चलते ही है।<ref name="aa">{{cite web |url=http://www.abhivyakti-hindi.org/prakriti/2004/monsoon.htm|title=प्रकृति का जीवन संगीत|accessmonthday=07 जून|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
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10:09, 7 जून 2013 का अवतरण

मानसून से अभिप्राय है- 'वे हवाएँ है, जिनकी दिशा ऋतु के अनुसार बदल जाती है।' या 'हिन्द महासागर एवं अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली वे विशेष हवाएँ, जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी वर्षा करातीं हैं।' मानसून भारतीय कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम है, इसके साथ ही भारत के लोक जीवन से भी गहरे जुड़ा है। यह गर्मी की तपिश से निजात दिलाता है और लोगों में उत्साह व खुशी का संचार करता है। भारत में मानसून हिन्द महासागर व अरब सागर की ओर से हिमालय की ओर आने वाली हवाओं पर निर्भर करता है। जब ये हवाएँ भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर पश्चिमी घाट से टकराती हैं तो भारत तथा आस-पास के देशों में भारी वर्षा होती है। ये हवाएँ दक्षिण एशिया में जून से सितम्बर तक सक्रिय रहती हैं। वैसे किसी भी क्षेत्र का मानसून उसकी जलवायु पर निर्भर करता है।

प्रकार

भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ की अर्थव्यवस्था अधिकांशत: कृषि पर ही निर्भर है। इसीलिए यह बहुत आवश्यक है कि पर्याप्त मात्रा में जल कृषि के लिए उपलब्ध हो। मानसून में होने वाली अच्छी वर्षा काफ़ी हद तक किसानों को समृद्ध बना देती है। भारत ही नहीं विश्व की कई प्रमुख फ़सलें मानसूनी वर्षा पर निर्भर हैं। मानसूनी हवाओं के दो प्रकार होते हैं-

  1. गर्मी का मानसून, जो अप्रैल से सितम्बर तक चलता है।
  2. जाड़े का मानसून, जो अक्टूबर से मार्च तक चलता है।

भारत में वर्षा करने वाला मानसून दो शाखाओं में बँटा होता है-

  1. अरब सागर का मानसून
  2. बंगाल की खाड़ी का मानसून

विस्तार

भारत समेत पूरे दक्षिण एशिया में कृषि का आधार मानसून है। 'मानसून' शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के 'मौसिम' शब्द से हुई है। अरब के समुद्री व्यापारियों ने समुद्र से स्थल की ओर या इसके विपरीत चलने वाली हवाओं को 'मौसिम' कहा, जो आगे चलकर 'मानसून' कहा जाने लगा। मानसून का जादू और इसका जीवन–संगीत भारतीय उपमहाद्वीप में ही फैला हो, ऐसा नहीं है। वास्तव में, यह पृथ्वी पर सबसे बड़ी जलवायु संरचना है। भूगोल पर इसका विस्तार लगभग 10 डिग्री दक्षिणी अक्षांश से लेकर 25 डिग्री उत्तरी अक्षांश तक है। यद्यपि मानसून मुख्य रूप से दक्षिण और दक्षिण–पूर्व एशिया, मध्य अफ़्रीका तथा उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में पूर्ण विकसित रूप में मिलता है, किंतु अमेरिका और मेक्सिको के पश्चिमी भागों तक इसके तार जुड़े हैं। संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप के अलावा एशिया में थाइलैंड, म्यांमार, लाओस तथा वियतनाम में मानसून का प्रभाव गर्मियों में स्पष्ट तौर पर दिखाई देता है, जबकि हिन्द महासागर के विस्तृत जलराशि के चलते इंडोनेशियाई द्वीप समूहों पर इसका प्रभाव कम है। दक्षिणी चीन एवं फिलीपींस में जाड़े के दिनों में चलने वाली व्यापारिक पवनों का गर्मी के दिनों में गायब होना भी मानसूनी हवाओं के चलते ही है।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. प्रकृति का जीवन संगीत (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 07 जून, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

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