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− | भय का सर्वथा अभाव, अन्त:करण की पूर्ण निर्मलता, तत्त्वज्ञान के लिये ध्यान योग में निरन्तर दृढ स्थिति और सात्त्विक दान, इन्द्रियों का दमन, भगवान्, [[देवता]] और गुरुजनों की पूजा तथा अग्निहोत्र आदि उत्तम कर्मों को आचरण एवं <balloon link="वेद" title="वेद हिन्दू धर्म के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई । ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">वेद</balloon>-शास्त्रों का पठन-पाठन तथा भगवान् के नाम और गुणों, का कीर्तन, स्वधर्म पालन के लिये कष्ट सहन और शरीर तथा [[ | + | भय का सर्वथा अभाव, अन्त:करण की पूर्ण निर्मलता, तत्त्वज्ञान के लिये ध्यान योग में निरन्तर दृढ स्थिति और सात्त्विक दान, इन्द्रियों का दमन, भगवान्, [[देवता]] और गुरुजनों की पूजा तथा अग्निहोत्र आदि उत्तम कर्मों को आचरण एवं <balloon link="वेद" title="वेद हिन्दू धर्म के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, इससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई । ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">वेद</balloon>-शास्त्रों का पठन-पाठन तथा भगवान् के नाम और गुणों, का कीर्तन, स्वधर्म पालन के लिये कष्ट सहन और शरीर तथा [[इन्द्रियाँ]] के सहित अन्त:करण की सरलता ।।1।। |
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06:51, 17 जुलाई 2010 का अवतरण
गीता अध्याय-16 श्लोक-1 / Gita Chapter-16 Verse-1
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